सरकारी ब्लड बैंकों में नुकसान हो जाता है रक्त

कोलकाता: पश्चिम बंगाल के सरकारी ब्लड बैंकों में रक्त की कमी नहीं है, लेकिन इसके रखरखाव के अभाव में काफी मात्र में रक्त व इसके घटकों की क्षति हो जाती है. एक रिपोर्ट के अनुसार राज्य सरकार के ब्लड बैंकों में हर साल करीब 30 हजार यूनिट रक्त संग्रह किये जाते हैं, लेकिन रक्त को […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | July 16, 2013 1:52 PM

कोलकाता: पश्चिम बंगाल के सरकारी ब्लड बैंकों में रक्त की कमी नहीं है, लेकिन इसके रखरखाव के अभाव में काफी मात्र में रक्त व इसके घटकों की क्षति हो जाती है. एक रिपोर्ट के अनुसार राज्य सरकार के ब्लड बैंकों में हर साल करीब 30 हजार यूनिट रक्त संग्रह किये जाते हैं, लेकिन रक्त को संग्रह कर रखनेवाले पैकेटों के अभाव में रक्त के घटक जैसे रेड ब्लड सेल (आरबीसी), प्लाज्मा और प्लेटलेट्स रक्त से अलग कर संग्रह नहीं किये जा सकते हैं.

सरकारी ब्लड बैंकों को रक्त को संग्रह कर रखने के लिए नेशनल एड्स कंट्रोल ऑर्गनाइजेशन (नेको) पैकेट मुहैया करवाती है. नेको द्वारा मुहैया करवाये गये प्लास्टिक बैगों की संख्या इतनी नहीं है कि रक्त के उक्त घटकों को अलग से संग्रह किया जा सके. ऐसे में सरकारी ब्लड बैकों में रक्त के विभिन्न घटकों का अभाव रहता है और इसका फायदा सीधे निजी ब्लड बैकों को पहुंचता है. ये ब्लड बैंक ऊंचे दामों पर रक्त व इसके घटकों को बेचते है.

कैसे होती है रक्त की पैकेजिंग
चार चरणों में रक्त को संग्रह कर पैंकेजिंग की जाती है. इसके प्रथम चरण में प्लास्टिक के पैकेट में रक्त के घटकों को अलग किये बगैर स्टोर किया जाता है. दूसरे चरण में रक्त के घटक रेड ब्लड सेल (आरबीसी) व प्लाज्मा को जमा किया जाता है. तीसरे स्टेज आरबीसी, प्लाज्मा व प्लेटलेट्स को रखा जाता है व चौथे चरण में रक्त से फैक्टर सात आठ व नौ को एकत्रित कर इसे संग्रह किया जाता है.यह फैक्टर हिमोफीलिया के मरीजों को चढ़ाया जाता है, लेकिन प्लास्टिक के इन पैकेटों के अभाव में रक्त के विभिन्न घटकों को अलग नहीं किया जाता सकता है.

फंड का अभाव भी एक वजह
सूत्रों की माने, तो सरकार व नेको के बीच विभागीय बातचीत व फंड के अभाव के कारण राज्य के विभिन्न ब्लड बैकों को यह परेशानी ङोलनी पड़ती है.

इस विषय में ज्यादा जानकारी हासिल करने के लिए हमने डायरेक्टर ऑफ हेल्थ सर्विस (डीएचएस) विश्व रंजन सतपथि से बात की. डायरेक्टर के अनुसार रक्त को संग्रह करने के लिए सरकार टेंडर की मदद से प्लास्टिक के उक्त पैकेटों के लेते है. उन्होंने बताया कि ब्लड ट्रांस्फ्यूसन काउंसिल के पास 70 हजार बैगों का स्टॉक रहता है.

इससे अधिक पैकेटों की आवश्यता नहीं पड़ती है.उन्होंने नेको के संबंध में कुछ भी कहने से इनकार कर दिया. उधर, कलकत्ता मेडिकल कॉलेज के ब्लड ट्रांस्फ्यूसन विभागाध्यक्ष डॉ कृष्र्णेदु मुखर्जी के अनुसार राज्य सरकार वर्ष में करीब 30 हजार रक्त को संग्रह करती है ,लेकिन मांग व आपूर्ति के बीच आने वाले बड़े अंतर के कारण रक्त के विभिन्न घटकों के अलग करने में परेशानी होती है.

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