आंसुओं पर लगाम कविता है

फोटो है कोलकाता. प्रेस क्लब, कोलकाता ने रविवार को प्रेस क्लब में काव्य गोष्ठी का आयोजन किया. काव्य गोष्ठी की अध्यक्षता वरिष्ठ साहित्यकार डॉ कृष्ण बिहारी मिश्र ने की. उन्होंने चार पंक्तियों के साथ कुछ इस तरह से अपनी बात रखी कि भीतर की तकलीफ सृजन की माता है. अधिक भोगने वाला बड़ा विधाता है, […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | November 23, 2014 10:02 PM

फोटो है कोलकाता. प्रेस क्लब, कोलकाता ने रविवार को प्रेस क्लब में काव्य गोष्ठी का आयोजन किया. काव्य गोष्ठी की अध्यक्षता वरिष्ठ साहित्यकार डॉ कृष्ण बिहारी मिश्र ने की. उन्होंने चार पंक्तियों के साथ कुछ इस तरह से अपनी बात रखी कि भीतर की तकलीफ सृजन की माता है. अधिक भोगने वाला बड़ा विधाता है, इसलिए प्राण मेरे भोगो, फल निकलेगा, इन बड़ी-बड़ी तकलीफों का हल निकलेगा. विशिष्ट अतिथि के रुप में वरिष्ठ पत्रकार गीतेश शर्मा ने सामयिक प्रसंगों पर अत्यंत प्रभावी व मार्मिक टिप्पणी की और सृजन के लिए सदा जागरूक रहने का आह्वान किया. साहित्यकार डॉ प्रेमशंकर त्रिपाठी ने कविता की महत्ता पर प्रकाश डालते हुए कहा कि दिल का बोला दिमाग का लिखा, रौशनी का कलाम कविता है. सिसकियों पर महीन नक्काशी, आंसुओं पर लगाम कविता है. संचालन कवि गिरधर राय ने किया. कवि नवल, आलोक शर्मा, शाहिद हुसैन शाहिद, जितेंद्र धीर, कुशेश्वर, जरीना जरीन, कुसुम जैन, शकुन त्रिवेदी, नंदलाल रौशन, रविप्रताप सिंह, रावेल पुष्प, काली प्रसाद जायसवाल सहित कई कवियों व शायरों ने अपनी रचनाएं पढ़ी. धन्यवाद ज्ञापन पत्रकार राज मिठौलिया ने किया. प्रेस क्लब के अध्यक्ष सुदीप्त सेन गुप्त ने सबका स्वागत किया. सचिव अनिंद्य सेनगुप्त ने अपने विचार रखे.

Next Article

Exit mobile version