आओ मिलकर नया समाज बनायें
आओ मिलकर नया समाज बनायेंहम सब समाज के एक अंग हैं. हमारे सोच से ही एक नया समाज जन्म लेता है. हम चाहें तो क्या नहीं कर सकते. कन्या भ्रूण हत्या को रोक कर बेटी बचा सकते हैं. दहेज न लेकर हम अपना सम्मान बढ़ा सकते हैं. रिश्वत के बिना राजनीति चला सकते हैं. स्त्री […]
आओ मिलकर नया समाज बनायेंहम सब समाज के एक अंग हैं. हमारे सोच से ही एक नया समाज जन्म लेता है. हम चाहें तो क्या नहीं कर सकते. कन्या भ्रूण हत्या को रोक कर बेटी बचा सकते हैं. दहेज न लेकर हम अपना सम्मान बढ़ा सकते हैं. रिश्वत के बिना राजनीति चला सकते हैं. स्त्री शिक्षा को मजबूत कर उसे पुरुषों के बराबर कर सकते हैं. आज जो कुछ भी हमारे आसपास होता है, उसे हम यह कह देते हैं कि यह समाज का नियम है. नियम समाज नहीं, हम बनाते हंै. क्योंकि कोई भी नियम हमें यह हक नहीं देता की हम नशा करें. अबला नारी पर अत्याचार करे. रिश्वत ले, यौन शोषण करे या फिर दहेज लोभ में बहुओं को जलाएं. तो फिर हम क्यों न एक ऐसा समाज बनाएं जहां हमें कोई भी नशा अपना आदी न बना सके. बेटी को दहेज से नहीं, बल्कि उसके गुणों से विदा करें. गर्व में पल रही बेटी में भविष्य की कल्पना चावला या मैरी कोम को देखें. नशे को अपना गुलाम बनाएं. फिर देखें कैसे हम एक नये समाज की रचना करते हैं. आखिर हमसे ही समाज है. हम समाज से नहीं.सोनम साव, दूर्गापुर