राम राज्य का आधार राम के आदर्श

कोलकाता. सत् संगम की ओर से फुलकटरा में आयोजित श्रीराम जानकी विवाहोत्सव में मंगलगान का विशेष कार्यक्रम आयोजित किया गया. इस अवसर पर आचार्य जयदयाल त्यागी ने कहा कि सीताराम प्रकृति एवं परमात्मा के प्रतीक हैं. यद्यपि उनके स्मरण मात्र से पापों का विनाश होता है तथापि उनको आदर्शों को व्यवहार में लाना जरूरी है. […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | December 2, 2014 9:03 PM

कोलकाता. सत् संगम की ओर से फुलकटरा में आयोजित श्रीराम जानकी विवाहोत्सव में मंगलगान का विशेष कार्यक्रम आयोजित किया गया. इस अवसर पर आचार्य जयदयाल त्यागी ने कहा कि सीताराम प्रकृति एवं परमात्मा के प्रतीक हैं. यद्यपि उनके स्मरण मात्र से पापों का विनाश होता है तथापि उनको आदर्शों को व्यवहार में लाना जरूरी है. सत् संगम के प्रधान सचिव ईश्वर प्रसाद कानोडि़या ने कहा कि राजनयिकों को भी पत्नी रूपी पैसे का परित्याग करना चाहिए जैसे प्रजा के हित में श्रीराम ने किया. सियाराम मय सब जग जानी की मीमांसा करते हुए कहा कि राम ब्रह्म हैं, रामायण माया है. रामायण की विशेषता है कि उसमें वर्णित असत्य को भी हम सत्य रूप में स्वीकारते हैं.

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