एनआइए ने बच्चे की जान खतरे में डाली थी
कोलकाता : बर्दवान के खागड़ागढ़ धमाके की जांच कर रही नेशनल इनवेस्टिगेशन एजेंसी (एनआइए) ने अपनी जांच के लिए एक बच्चे की जान खतरे में डाल दी थी. यह आरोप जिला प्रशासन की तरफ से तैयार रिपोर्ट में लगाया गया है, जिसके अनुसार एनआइए की टीम ने 16 अक्तूबर को अपनी जांच के दौरान एक […]
कोलकाता : बर्दवान के खागड़ागढ़ धमाके की जांच कर रही नेशनल इनवेस्टिगेशन एजेंसी (एनआइए) ने अपनी जांच के लिए एक बच्चे की जान खतरे में डाल दी थी. यह आरोप जिला प्रशासन की तरफ से तैयार रिपोर्ट में लगाया गया है, जिसके अनुसार एनआइए की टीम ने 16 अक्तूबर को अपनी जांच के दौरान एक घर से आइइडी की खोज के लिए एक 13 वर्षीय किशोर को काम पर लगाया था.
स्टेट कमीशन फॉर प्रोटेक्शन ऑफ चाइल्ड राइट्स (एससीपीसीआर) ने मीडिया में आयी कुछ रिपोर्ट के आधार पर संज्ञान लेते हुए जिला प्रशासन को इस पूरी घटना की रिपोर्ट देने के लिए कहा था. 20 अक्तूबर को कमीशन ने बर्दवान के डीएम सौमित्र मोहन को पत्र लिख कर एक तथ्यात्मक रिपोर्ट जमा करने के लिए कहा था कि आखिर क्यों और किस परिस्थिति में एक बच्चे को इस खतरनाक ऑपरेशन में शामिल किया गया था. मानवाधिकार संगठनों ने भी इस घटना के खिलाफ आवाज बुलंद की थी.
रिपोर्ट के अनुसार यूनिफार्म पहने कुछ लोग उस 13 वर्षीय किशोर को एक घर के अंदर सीढ़ी के ऊपर एक शेल्फ खोलने के लिए ले गये थे, उनके साथ सादे पोशाक में भी कुछ लोग थे. शेल्फ में कई बोरी और अन्य सामान थे. रिपोर्ट के अनुसार बच्चे ने बताया कि वह अधिकारियों के निर्देश पर ऊंचे शेल्फ पर चढ़ गया, जहां राजमिस्त्री के सामान से भरी तीन बोरी रखी हुई थी.
उन्हें हटाने पर एक और बंद बोरी दिखी, जिसमें लोहे से बनी कुछ चीजें थीं. जिस वक्त वह बच्च उस शेल्फ पर चढ़ कर बोरी को खोल रहा था, उस वक्त कोई भी उसके करीब नहीं था और सभी अधिकारी नीचे खड़े थे. रिपोर्ट में कहा गया है कि बच्चे को पता नहीं था कि उसे शेल्फ पर क्यों चढ़ाया गया है और अगर वह जानता तो घर के अंदर नहीं जाता.
गौरतलब है कि 16 दिसंबर को एनआइए ने एक विज्ञप्ति जारी कर यह दावा किया था कि बर्दवान जिला पुलिस के साथ मिल कर एनआइए अधिकारियों ने बर्दवान धमाके से जुड़े एक महत्वपूर्ण व्यक्ति के घर में तलाशी अभियान चलाया, जहां एक कमरे में छिपा कर रखी गयी आइइडी से भरी एक बोरी पायी गयी थी.