25.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

मल्टी स्टेट कोऑपरेटिव सोसाइटियों से रहें सचेत

कोलकाता : पश्चिम बंगाल में करीब एक साल तक ‘गायब’ रहने के बाद पोंजी योजनाएं एक बार फिर उभरती दिख रही हैं. राज्य में इस बार पांेजी योजनाएं एक नये नाम ‘मल्टी-स्टेट को-ऑपरेटिव सोसायटी’ से आती दिख रही हैं. राज्य के सहकारिता मंत्री ज्योतिर्मय कर ने कहा : हमने हाल में जांच की है, जिसमें […]

कोलकाता : पश्चिम बंगाल में करीब एक साल तक ‘गायब’ रहने के बाद पोंजी योजनाएं एक बार फिर उभरती दिख रही हैं. राज्य में इस बार पांेजी योजनाएं एक नये नाम ‘मल्टी-स्टेट को-ऑपरेटिव सोसायटी’ से आती दिख रही हैं.
राज्य के सहकारिता मंत्री ज्योतिर्मय कर ने कहा : हमने हाल में जांच की है, जिसमें यह तथ्य सामने आया है कि कुछ संगठन केंद्र से मल्टी स्टेट को-ऑपरेटिव क्रेडिट सोसाइटी (एमएससीएस) का पंजीकरण हासिल करने के बाद आम जनता से भारी रिटर्न के वादे के साथ धन जुटा रहे हैं.
उनके पास न तो राज्य से अनापत्ति प्रमाण पत्र है और न ही रिजर्व बैंक की अनुमति. उन्‍होंने कहा : हमें संदेह है कि चिटफंड कंपनियां-पोंजी योजनाएं, जो पूर्वी राज्यों में परिचालन करती रही हैं, अब धन जुटाने के लिए एमएससीएस का इस्तेमाल कर रही हैं. संभवत: ये कंपनियां कानूनी कार्रवाई से बचने के लिए एमएससीएस कानून का फायदा उठा रही हैं. अप्रैल, 2013 में सारधा चिटफंड घोटाला सामने आने के बाद कई पोंजी योजनाआंे और चिटफंड कंपनियों को अपना बोरिया बिस्तर समेटना पड़ा था.
यह घोटाला सामने आने के बाद केंद्र व राज्य सरकार की एजेंसियों ने ऐसी योजना चलानेवाली कंपनियों के खिलाफ कार्रवाई अभियान छेड़ दिया था. एमएससीएस को-ऑपरेटिव सोसाइटी है, जो एक से अधिक राज्य में परिचालन करती है. एक राज्य में इसके कम से कम 50 सदस्य होते हैं. राज्य सहकारिता विभाग के अधिकारियों के अनुसार एमएससीएस कानून चिट फंड कंपनियों के लिए एक अच्छा विकल्प है, क्योंकि यह बहुत हद तक उनके धन जुटाने के तरीके से अनुरूप है.
70 लाख गंवा चुकी है एक महिला
श्री कर ने कहा कि यह मामला कुछ महीने पहले पहली बार उस समय प्रकाश में आया जब पूर्व मेदिनीपुर जिले में एक महिला ने शिकायत की कि एक एमएससीएस संगठन ने उससे भारी रिटर्न का वादा कर 70 लाख रुपये ले लिये. अब यह संगठन गायब हो चुका है. उन्‍होंने बताया कि शिकायत मिलने के बाद जब हमने जांच की तो पाया कि जिस पते पर कंपनी पंजीकृत है, वह है ही नहीं. उन्‍होंने बताया कि यह तथ्य सामने आया है कि राज्य के विभिन्न जिलों में करीब 100 एमएससीएस काम कर रही हैं और आम लोगों से आवर्ती व मियादी जमा पर भारी रिटर्न का वादा कर धन जुटा रही हैं. उन्‍होंने बताया कि इन 100 में से 90 एमएससीएस का कोई अता पता नहीं है. न ही उनके अधिकारियों या कार्यालयों का कुछ अता-पता है.

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें