अधिकतर बांग्ला फिल्में होती हैं फ्लॉप : रिपोर्ट

कोलकाता. बांग्ला फिल्म उद्योग का आकार भले ही 150 करोड़ रुपये का हो और साल भर में तकरीबन सौ फिल्में बनती हों, लेकिन फिल्म उद्योग से जुड़ी एक रिपोर्ट की मानें तो साल में महज पांच से छह फिल्में ही हिट हो पाती हैं. सीआइआइ और आइएमआरबी की बांग्ला फिल्म उद्योग पर एक रिपोर्ट में […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | December 17, 2014 6:01 PM

कोलकाता. बांग्ला फिल्म उद्योग का आकार भले ही 150 करोड़ रुपये का हो और साल भर में तकरीबन सौ फिल्में बनती हों, लेकिन फिल्म उद्योग से जुड़ी एक रिपोर्ट की मानें तो साल में महज पांच से छह फिल्में ही हिट हो पाती हैं. सीआइआइ और आइएमआरबी की बांग्ला फिल्म उद्योग पर एक रिपोर्ट में कहा गया है कि हर साल करीब 100 बांग्ला फिल्में रिलीज होती हैं जो 2005 की तुलना में तीन गुणा ज्यादा हैं, लेकिन बॉक्स ऑफिस कलेक्शन का हाल का रुझान उतना उत्साहजनक नहीं है. रिपोर्ट में उद्योग अनुमान का जिक्र करते हुए कहा गया है कि हर साल रिलीज होने वाली 10 फीसदी से ज्यादा फिल्में अपनी लागत तक नहीं वसूल पाती हैं और साल में गिनी-चुनी पांच से छह फिल्में ही हिट हो पाती हंै. टॉलीवुड के नाम से मशहूर बांग्ला फिल्म उद्योग में कुल 150-180 करोड़ रुपये के निवेश का अनुमान है और इसमें अधिकतर श्री वेंकटेश फिल्म्स का पैसा लगा हुआ है. 2013 में कलेक्शन के मामले में सबसे आगे फिल्म चांदेर पहाड़ रही, इस फिल्म ने 15 करोड़ रुपये का कारोबार किया. 2012 में रिलीज हुई फिल्म आवारा, 2011 में रिलीज हुई फिल्म पगलू एवं 2013 में रिलीज हुई फिल्म मिशरेर रहस्य ने रुपहले परदे पर अपना सिक्का जमाया और बढि़या कमाई की.

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