भूख से चार चाय बागान श्रमिकों की मौत
अलीपुरद्वार : अलीपुरद्वार जिले के एक चाय बागान में काम बंद होने के पिछले एक माह के दौरान चार मजूदरों की मौत हो चुकी है. यूटीयूसी अलीपुरद्वार के सचिव निर्मल दास ने बुधवार को आरोप लगाया कि पतकापाड़ा चाय बागान के 17 नवंबर को बंद होने के बाद एक महिला सहित चार मजदूरों की भूख […]
अलीपुरद्वार : अलीपुरद्वार जिले के एक चाय बागान में काम बंद होने के पिछले एक माह के दौरान चार मजूदरों की मौत हो चुकी है. यूटीयूसी अलीपुरद्वार के सचिव निर्मल दास ने बुधवार को आरोप लगाया कि पतकापाड़ा चाय बागान के 17 नवंबर को बंद होने के बाद एक महिला सहित चार मजदूरों की भूख से मौत हो गयी.
बागान को सरकार की तरफ से कोई सहयोग नहीं मिला. उप श्रमायुक्त श्यामल दत्ता ने स्वीकार किया कि चार मजदूरों की मौत हो चुकी है लेकिन यह जांच का विषय है कि उनकी मौत भूख से हुई है. मजदूरों को सरकार से सहयोग नहीं मिलने के बारे में दत्ता ने कहा कि नियम के मुताबिक बंद होने के तीन महीने बाद मजदूरों को सहयोग दिया जाता है और पतकापाड़ा को बंद हुए सिर्फ एक महीना हुआ है.
मरने वालों में एक महिला बीनू आरिया भी शामिल है जिसकी मौत बुधवार सुबह हुई. दास ने कहा कि उन्होंने यूटीयूसी के राज्य अध्यक्ष अशोक घोष के साथ मजदूरों के घरों का दौरा किया और उनकी दुर्दशा देखी. उन्होंने कहा, ‘वे भूख से मर रहे हैं. सरकार से उन्हें कोई सहयोग नहीं मिला. अगर यह जारी रहता है तो हम राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग में जायेंगे.’ पतकापाड़ा चाय बागान के प्रबंधन ने मजदूरों में कथित अनुशासनहीनता का हवाला देते हुए 17 नवंबर को काम रोकने का नोटिस जारी किया था.
वेतन समझौता न होने से हताशा
सिलीगुड़ी : चाय बागान श्रमिकों की वेतन और मजदूरी वृद्धि को लेकर लगातार सातवें दौर के त्रिपक्षीय बैठक फेल होने के कारण श्रमिकों में भारी निराशा है. सिलीगुड़ी स्थित मिनी सचिवालय उत्तरकन्या में स्वयं राज्य के श्रम मंत्री मलय घटक की अध्यक्षता में यह बैठक हुई, लेकिन लगातार दो दिनों तक चली बैठकों के दौर के बाद भी समस्या का कोई समाधान नहीं निकला.
चाय श्रमिकों के वेतन और मजदूरी समझौते की मियाद इस वर्ष 31 मार्च को समाप्त हो गयी है. उसके बाद से ही यह मामला लटका हुआ है. सोमवार को उत्तरकन्या में हुई बैठक से पहले भी राज्य सरकार विभिन्न ट्रेड यूनियन संगठन तथा चाय बागान मालिकों के बीच छह दौर की त्रिपक्षीय बैठक हो चुकी थी. इसके अलावा चाय श्रमिक संगठनों तथा बागान मालिकों के बीच भी चार दौर की त्रिपक्षीय वार्ता हुईथी. इस तरह से सोमवार को उत्तरकन्या में हुई बैठक को लेकर अब तक कुल 11 दौर की बैठकों का आयोजन हो चुका है.
इसके बावजूद समस्या का समाधान नहीं निकलने से विभिन्न पक्ष के लोग एक-दूसरे पर आरोप लगा रहे हैं. माकपा नेता तथा सीटू के महासचिव समन पाठक का कहना है कि राज्य सरकार इस पूरे मामले पर टाल-मटोल की रणनीति अपना रही है. राज्य सरकार चाय श्रमिकों की हितों की अनदेखी कर बागान मालिकों के पक्ष में काम कर रही है. राज्य सरकार के रूख से ऐसा कभी भी नहीं लगा कि सरकार समस्या का समाधान करना चाहती है. जो बात चाय बागान मालिक कर रहे हैं वही बात राज्य सरकार भी कर रही है.
चाय बागान मालिक पहले से ही तीन साल में 30 रुपये बढ़ाने की बात कर रहे हैं और यही बात राज्य सरकार भी कर रही है. इस बीच, उत्तरकन्या में हुई त्रिपक्षीय बैठक के विफल होने के बाद 23 चाय श्रमिक संगठनों के संयुक्त फोरम ने एक बार फिर से आंदोलन का मूड बना लिया है. संयुक्त फोरम के नेता इस मुद्दे को लेकर 19 दिसंबर शुक्रवार को बैठक करेंगे.
बैठक का आयोजन सीटू कार्यालय में होगा. समन पाठक ने भी इस बैठक की पुष्टि की है. श्री पाठक ने कहा कि इसी बैठक में आगे की आंदोलन की रणनीति पर विचार किया जायेगा. इस बीच, उत्तरकन्या में सोमवार को जो बैठक हुई थी, वह पूरी तरह से फेल हो गया है. सोमवार की सुबह 11 बजे से शाम 6 बजे तक बैठक चली, लेकिन मजदूरी और वेतन वृद्धि को लेकर कोई फैसला नहीं हो सका. उसके बाद अगले दिन मंगलवार को भी सारा दिन इस मुद्दे को लेकर विचार-विमर्श करने के बाद कोई फैसला नहीं होने पर बैठक को रद्द कर दिया गया.
इस बैठक में राज्य सरकार की ओर से श्रम मंत्री मलय घटक, श्रम सचिव जावेद अख्तर तथा श्रम विभाग के अन्य अधिकारी उपस्थित थे. बागान मालिकों की ओर से आठ संगठनों के प्रतिनिधियों ने इसमें शिरकत की. इसके अलावा 23 चाय श्रमिक संगठनों के नेता बैठक में शामिल हुए. बैठक के बाद श्रमिक संगठनों के नेताओं ने आरोप लगाते हुए कहा कि राज्य सरकार और चाय बागान मालिक प्रबंधन कोई फैसले के लिए तैयार ही नहीं थे. यही कारण है कि बैठक में राज्य सरकार ने तीन साल के लिए वेतन समझौता लागू करने का प्रस्ताव दिया. इस प्रस्ताव का बागान मालिकों ने भी समर्थन किया, जबकि वह लोग शुरू से ही कहते आ रहे हैं कि तीन साल के बजाय चाय श्रमिक एक-एक साल का मजदूरी समझौता करना चाहते हैं.
इसके बावजूद राज्य सरकार ने तीन साल के लिए वेतन समझौता करने का प्रस्ताव श्रमिकोंे पर थोपने की कोशिश की. इस बीच, बैठक सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, राज्य सरकार ने जो प्रस्ताव दिया था उसके अनुसार पर्वतीय क्षेत्र के चाय बागान श्रमिकों के लिए तीन वर्षो में 42 रुपये 50 पैसा तथा तराई एवं डुवार्स क्षेत्र के चाय श्रमिकों के लिए तीन वर्षो में 37 रुपये 50 पैसे बढ़ाने का प्रस्ताव था. इसके तहत पर्वतीय क्षेत्र के श्रमिकों के लिए पहले वर्ष 22 रुपये 50 पैसे और अगले दो वर्षो में 10-10 रुपये बढ़ाने का प्रस्ताव दिया गया.
इसी तरह से तराई एवं डुवार्स के श्रमिकों के लिए पहले वर्ष 17 रुपये 50 पैसे तथा अगले दो वर्षो में 10-10 रुपये बढ़ाने का प्रस्ताव था. श्रमिक नेताओं का कहना है कि राज्य सरकार और बागान मालिकों के इस प्रस्ताव में नया कुछ भी नहीं है. यह फैसला एक तरह से पहले ही हो चुका था.
बागान मालिकों ने तीन वर्षो में 40 रुपये बढ़ाने का प्रस्ताव पहले से ही दे रखा था. उल्टे इस बार की त्रिपक्षीय बैठक में इस राशि में कमी कर दी गयी. दूसरी तरफ तराई इंडिया प्लान्टर्स एसोसिएशन (टीपा) के प्रवक्ता राजा दास ने त्रिपक्षीय बैठक फेल होने के लिए श्रमिक संगठनों को दोषी ठहराया है. उन्होंने कहा है कि श्रमिक संगठन जोरजबरदस्ती अपनी बातें मनवाना चाहते हैं, जो संभव नहीं है. चाय बागानों की स्थिति पहले से ही काफी खराब है और ऐसी परिस्थिति में श्रमिकों की मजदूरी और अधिक बढ़ा पाना संभव नहीं है.
क्या है मजदूरी
पहाड़ पर-95 रुपये प्रतिदिन
तराइ एवं डुवार्स में-90 रुपये प्रतिदिन
क्या है मांग
न्यूनतम 225 रुपये प्रतिदिन की
क्या है प्रस्ताव
पर्वतीय क्षेत्र के लिए तीन वर्षो में 42 रुपये 50 पैसा तथा तराई एवं डुवार्स क्षेत्र के चाय श्रमिकों के लिए तीन वर्षो में 37 रुपये 50 पैसे बढ़ाने का प्रस्ताव.
क्यों बिगड़ी बात
बागान मालिक अधिक बढ़ाने को तैयार नहीं,राज्य सरकार भी बागान मालिकों के प्रस्ताव के साथ श्रमिक संगठन अपनी बात पर अड़े.