सीबीआइ को बनाया राजनीतिक औजार: ममता

नयी दिल्ली/कोलकाता: पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री एवं तृणमूल कांग्रेस की प्रमुख ममता बनर्जी ने आरोप लगाया कि राजग सरकार द्वारा सीबीआइ का ‘राजनीतिक औजार’ के रूप में इस्तेमाल किया जा रहा है और यह ‘प्रधानमंत्री कार्यालय के एक विभाग’ के रूप में काम कर रही है. ममता बनर्जी ने संसद भवन परिसर में संवाददाताओं से […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | December 19, 2014 2:06 AM

नयी दिल्ली/कोलकाता: पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री एवं तृणमूल कांग्रेस की प्रमुख ममता बनर्जी ने आरोप लगाया कि राजग सरकार द्वारा सीबीआइ का ‘राजनीतिक औजार’ के रूप में इस्तेमाल किया जा रहा है और यह ‘प्रधानमंत्री कार्यालय के एक विभाग’ के रूप में काम कर रही है. ममता बनर्जी ने संसद भवन परिसर में संवाददाताओं से कहा : हमारा एक मात्र दल है, जो भाजपा से लड़ाई लड़ रहा है.

भाजपा तृणमूल कांग्रेस को कुचलने का प्रयास कर रही है. वह (पश्चिम बंगाल के परिवहन मंत्री मदन मित्रा की गिरफ्तारी) राजनीतिक प्रतिशोध है. भाजपा हम से ईष्र्या कर रही है, लेकिन लोकतंत्र को कुचला या थोपा नहीं जा सकता. उन्होंने कहा : जो रुख (भाजपा द्वारा) प्रदर्शित किया जा रहा है वह तानाशाही है.

तृणमूल कांग्रेस देश की जनता को छोड़ कर किसी के आगे नहीं झुकेगी. यह एक राजनीतिक लड़ाई है और इसे राजनीतिक रूप से और लोकतांत्रिक ढंग से लड़ा जायेगा. आप हमारी आवाज को बंद नहीं कर सकते. ममता ने कहा कि सारधा चिटफंड घोटाले में उनकी पार्टी की कोई भूमिका नहीं थी, क्योंकि यह उनकी सरकार के दौरान नहीं हुआ है. उन्होंने कहा कि सीबीआइ के पास अनेक मामले लंबित हैं, जिसमें कोई नतीजा नहीं निकला है. उन्होंने कहा : यह (सीबीआइ) स्वायत्त इकाई नहीं है, बल्कि पीएमओ का एक विभाग है. अगर सीबीआइ महत्वपूर्ण है तो उसे जनता के हित में काम करना चाहिए. रवींद्रनाथ टैगोर जो भारत के पहले नोबल पुरस्कार विजेता हैं, उनका पदक चोरी हो गया उसका भी पता नहीं लगाया गया. क्या सीबीआइ ने मामला बंद कर दिया ?

ममता ने कहा कि 2010 के ज्ञानेश्वरी दुर्घटना मामले में करीब 300 लोग मारे गये थे. तत्कालीन रेल मंत्री के रूप में मैंने सीबीआइ जांच शुरू की थी, लेकिन कुछ नहीं हुआ. सिंगुर मामले में, रिजवानुर रहमान मामले में, नंदीग्राम मामले में कुछ नहीं हुआ. इसलिए क्या सीबीआई सरकार का औजार है.

सारधा घोटाले में हाल में गिरफ्तार किये गये मदन मित्रा का बचाव करने का प्रयास करते हुए ममता ने कहा कि तृणमूल कांग्रेस एकमात्र पार्टी है, जिसकी किसी घोटाले में कोई भूमिका नहीं है. सारधा घोटाला उनकी सरकार के शासनकाल के दौरान नहीं हुआ है. 2001 से 2006 तक यह वाममोरचा सरकार के दौरान हुआ और सिर्फ बंगाल में ही नहीं, बल्कि केरल, त्रिपुरा, असम और ओड़िशा में हुआ. चिटफंड गैरकानूनी नहीं है, बल्कि चिटफंड के नाम पर लोगों को धोखा देना गैरकानूनी है. सारधा घोटाले के बाद उनकी सरकार ने एक न्यायिक आयोग गठित किया और उन लोगों को 250 करोड़ रुपये वितरित किये, जिन्होंने पोंजी योजना में अपना धन खोया है. चिटफंड केंद्र सरकार के क्षेत्रधिकार में आता है और कंपनी मामलों, सेबी और रिजर्व बैंक के दायरे में आता है.

इन मामलों को देखने के लिए राज्य के पास कोई कानून नहीं है. उन्होंने कहा हमने यह मुद्दा उठाया है और हमने (पश्चिम बंगाल विधानसभा ने) एक कानून भी पारित किया है और इसे राष्ट्रपति की मंजूरी के लिए केंद्र सरकार को भेजा है, जिसके दो महीने गुजर गये. उन्होंने कहा कि कुछ और संशोधनों की जरुरत है. हमने फिर से इसे पास करके राज्यपाल को भेजा है.

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