चुनाव में झोंके जाते हैं करोड़ों रुपये : कुरैशी

कोलकाता: पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त एसवाइ कुरैशी का कहना है कि चुनाव प्रक्रिया में धन का दुरुपयोग रोकने के लिए चुनाव से छह महीने पहले ही आयोग के निर्देश लागू हो जाने चाहिए और इस दौरान चुनाव पूर्व खर्च को भी संज्ञान में लिया जाना चाहिए. श्री कुरैशी ने अपनी पुस्तक ‘एन अनडॉक्यूमेंटेड वंडर : […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | December 23, 2014 6:03 AM

कोलकाता: पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त एसवाइ कुरैशी का कहना है कि चुनाव प्रक्रिया में धन का दुरुपयोग रोकने के लिए चुनाव से छह महीने पहले ही आयोग के निर्देश लागू हो जाने चाहिए और इस दौरान चुनाव पूर्व खर्च को भी संज्ञान में लिया जाना चाहिए. श्री कुरैशी ने अपनी पुस्तक ‘एन अनडॉक्यूमेंटेड वंडर : द मेकिंग ऑफ द ग्रेट इंडियन इलेक्शन’ के विमोचन के दौरान कहा : वे (राजनीतिक दल) जानते हैं कि चुनाव आयोग बहुत सख्त है और नगदी के इस्तेमाल पर रोक लगाता है इसलिए वे चुनाव से एक साल पहले ही अपना प्रचार शुरू कर देते हैं और पोस्टरों, बैनरों तथा अन्य प्रचार सामग्री पर करोड़ों रुपये खर्च कर दिये जाते हैं.

उन्होंने कहा : जब चुनाव शुरू होते हैं तो वे बहुत मासूम हो सकते हैं. वे बहुत कम धन से चुनाव लड़ सकते हैं, लेकिन चुनाव से काफी पहले ही सारा पैसा झोंक दिया जाता है. हम इस पर काम कर रहे हैं. हो सकता है कि हम कहेंगे कि चुनाव आयोग को छह महीने पहले अधिकार मिल जाने चाहिए या इसमें चुनाव पूर्व खर्च भी संज्ञान में लिया जाना चाहिए.

पूर्व सीइसी ने कहा कि धन का दुरुपयोग एक नयी समस्या है जिससे चुनाव आयोग निपटने की कोशिश कर रहा है. उन्होंने कहा : अपराध हमेशा आदेश लागू होने से पहले होता है और नयी कार्य प्रणाली सामने आती है, जिसे हम समझने की और समाधान खोजने की कोशिश कर रहे हैं. मुङो विश्वास है कि चूहा बिल्ली का खेल चलता रहेगा और हम समाधान निकालेंगे.

चुनाव में पोंजी योजनाओं के घोटालों की किसी तरह की भूमिका के सवाल पर श्री कुरैशी ने चुनाव आयोग द्वारा चुनाव के समय हजारों करोड़ रुपये जब्त किये जाने का जिक्र किया. चुनावों में इस्तेमाल धन देश में सभी तरह के भ्रष्टाचार की मूल वजह है. मैंने अकसर यह बात कही है और अपनी किताब में भी लिखा है. अगर आप चुनाव लड़ने में करोड़ों रपये खर्च करते हैं तो आपको करोड़ों रुपये इकट्ठे करने होंगे. इसके बाद जब आप सत्ता में आते हो तो आप अपने नौकरशाहों से कहते हैं कि मुङो करोड़ों रुपये लौटाने हैं तो कृपया मेरे और अपने लिए कमाई शुरू कर दीजिए. इस तरह से राजनीतिक और नौकरशाही की मिलीभगत शुरू होती है और इसे रोक पाना बहुत मुश्किल हो जाता है.

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