फोटो है हावड़ा. भागवत महापुराण की कथा भवतारिणी है. इसके आयोजन से महापुण्य तो मिलता है ही. साथ ही इसका निष्ठापूर्वक श्रवण और जीवन में इसका मनन किया जाये तो इहलोक और परलोक दोनों सुधर जाते हैं. ये उदगार आज बंगेश्वर महादेव मंदिर(नया मंदिर) में श्रीमद्भागवत भक्ति ज्ञानयज्ञ का शुभारंभ करते हुए वृंदावन से पधारे भागवत भूषण श्री ताराचंद शास्त्री ने व्यक्त किये. उन्होंने भागवत महात्मय पर विस्तार से प्रकाश डालते हुए कहा कि भागवत कथा के श्रवण से अधम से अधम को मुक्ति मिल सकती है. इससे पहले मुख्य यजमान किशनलाल चौमाल ने सपत्नीक पूजन-अर्चन करवाया. तत्पश्चात श्री सत्यनारायण मंदिर, बांधाघाट से श्रीमद्भागवत महापुराण की पुस्तक मस्तक पर रख कर श्री चौमाल व अन्य भक्तजन पं. शास्त्री के सान्निध्य में शोभायात्रा स्वरूप में भागवत नाम संकीर्तन करते हुए बंगेश्वर महादेव मंदिर पहुंचे और व्यासपीठ पर श्रीमद्भागवत को विराजमान किया. इस अवसर पर काफी संख्या में गणमान्य उपस्थित हुए. यह कथा एक जनवरी तक चलेगी, जिसमें प्रतिदिन दोपहर दो से पांच बजे तक प्रवचन होगा. किशन चौमाल सहित अन्य लोग कार्यक्रम की सफलता में सक्रिय रहे.
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भवतारिणी है भागवत कथा : पं. ताराचंद शास्त्री
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फोटो है हावड़ा. भागवत महापुराण की कथा भवतारिणी है. इसके आयोजन से महापुण्य तो मिलता है ही. साथ ही इसका निष्ठापूर्वक श्रवण और जीवन में इसका मनन किया जाये तो इहलोक और परलोक दोनों सुधर जाते हैं. ये उदगार आज बंगेश्वर महादेव मंदिर(नया मंदिर) में श्रीमद्भागवत भक्ति ज्ञानयज्ञ का शुभारंभ करते हुए वृंदावन से पधारे […]

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