फोटो है कोलकाता. शस्य श्यामला बंग भूमि पर राजस्थान व हरीयाणवी संस्कृति का अनूठा संगम कोलकातावासियों को खास भा रहा है. 25 दिसम्बर को जहां साल्टलेक स्टेडियम में आठ हजार लोगों की भीड़ देखने को मिली वहीं आज भी मेला प्रंागण खचाखच भरा नजर आया. राजाओं की नगरी, किलाओं का घेरा, लुनी का नमकीन जल और रेत की उफान में दौड़ते उंटों की रफ्तार, भला इन परिदृश्यों को देख कर कौन हीं इस जमीं को निहारने की इच्छा रखता होगा. सिर पर पागड़ी, तनी हुई मूंछें और तन पर राजस्थानी लिबास पहने खाटू वाले श्याम की नगरी के बाशिंदे बंगाल में राजस्थान की छटा बिखेर रहे है. मेले में सबसे ज्यादा बच्चें आनंद लेते नजर आये. छोटा भीम के स्टाल से बच्चें हटने का नाम ही नहीं ले रहे थे, बच्चें तो बच्चें युवा और अधेड़ भी इस मेले में ऊंट की सवारी का भरपूर आनंद उठाते देखे गये. बात मौसम की करें तो ठिठुरन और सर्द हवाओं को अनदेखा कर लोग मेले में अलाव पर हाथ तापते गर्मी का एहसास पा रहे थे. राजस्थानी लोक संगीत, हरियाणवी संगीत, बाड़मेर घेर नृत्य, शेखावटी का ढ़प धमाल, बीकानेरी अग्नि नृत्य, नट, कठपुतली नृत्य , जोधपुरी ढ़ोल नगाड़ा, कच्ची घोड़ी, चकरी, नृत्य सपेरा पुंगी और घूमर जैसे नृत्य मेले के आकर्षण में चार चांद लगा रहे है.
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मरुधर मेले में उमड़ रही लोगों की भीड़
फोटो है कोलकाता. शस्य श्यामला बंग भूमि पर राजस्थान व हरीयाणवी संस्कृति का अनूठा संगम कोलकातावासियों को खास भा रहा है. 25 दिसम्बर को जहां साल्टलेक स्टेडियम में आठ हजार लोगों की भीड़ देखने को मिली वहीं आज भी मेला प्रंागण खचाखच भरा नजर आया. राजाओं की नगरी, किलाओं का घेरा, लुनी का नमकीन जल […]
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