फोटो हैकोलकाता. इंसान जन्म से नहीं, कर्म से महान बनता है. प्रभु की कृपा तो हर उस जीव मात्र पर है, जिसे प्रभु ने बनाया है. मनुष्य इसलिए प्रभु के ज्यादा समीप है क्योंकि उसके पास संवेदना है, एक एहसास है. एहसास अपने मनुष्य होने का, संवेदना हर एक व्यक्ति के साथ अपने जुड़ाव की, मनुष्य को हर प्राणी मात्र से भिन्न बनाती है, उसे प्रभु के नजदीक लाती है और उसे प्रभु का प्रिय बनाती है… सिर्फ मनुष्य के रु प में जन्म लेना जीवन की सार्थकता नहीं. जीवन की सार्थकता तो इस बात से है कि कैसे इस मानव देह और जीवन को सार्थक और सफल बनाया जाये. प्रभु सुमिरन और हर हर प्राणी मात्र के कल्याण के लिए सदैव प्रयासरत रहना ही इस मानव जीवन की सार्थकता है. ये बातें संत श्री मुरलीधर महाराज (जोधपुर वाले) ने रविवार को रवींद्र सरणी स्थित जमुना भवन के पुष्कर सभागार में आयोजित नानी बाई रो के दूसरे दिन श्रद्धालुओं को संबोधित करते हुए कही. नागरिक स्वास्थ्य संघ द्वारा अपनी संस्था के समिर्पत व कर्मठ पूर्व प्रधानमंत्री स्व. मोहनलाल दुजारी की प्रथम पुण्य तिथि पर आयोजित कथा आयोजन में महाराज श्री ने मानव जीवन का ध्येय और जीवन की प्रांसगिकता पर बोलते हुए कहा कि जीवन को कैसे सजाना है किस तरह से बनाना है, यह खुद हम पर निर्भर करता है. लोग हमें किन नजरों से देखें, हमारे प्रति किस तरह की धारणा रखें. यह हम पर ही निर्भर है. अच्छे कमार्ें से यदि जीवन सुधारंे तो एक आम इंसान संत बन सकता है. सिर्फ संतों जैसे आचरण जीवन में उतारने की जरूरत है.
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हर इंसान बन सकता है संत : मुरलीधर महाराज
फोटो हैकोलकाता. इंसान जन्म से नहीं, कर्म से महान बनता है. प्रभु की कृपा तो हर उस जीव मात्र पर है, जिसे प्रभु ने बनाया है. मनुष्य इसलिए प्रभु के ज्यादा समीप है क्योंकि उसके पास संवेदना है, एक एहसास है. एहसास अपने मनुष्य होने का, संवेदना हर एक व्यक्ति के साथ अपने जुड़ाव की, […]
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