तृणमूल को मिलनेवाले चंदे पर सवाल

कोलकाता. प्रदेश भाजपा की ओर से तृणमूल कांग्रेस को मिलनेवाले चंदों पर सवालिया निशान उठाया गया है. प्रदेश भाजपा अध्यक्ष राहुल सिन्हा ने कहा कि तृणमूल को 1.40 करोड़ रुपये का चंदा मिला है. त्रिनेत्र कंस्ट्रक्शन की ओर से यह चंदा दिया गया है. लेकिन इस कंपनी ने तीन वर्षो में महज 68 हजार रुपये […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | January 12, 2015 5:42 AM
कोलकाता. प्रदेश भाजपा की ओर से तृणमूल कांग्रेस को मिलनेवाले चंदों पर सवालिया निशान उठाया गया है. प्रदेश भाजपा अध्यक्ष राहुल सिन्हा ने कहा कि तृणमूल को 1.40 करोड़ रुपये का चंदा मिला है. त्रिनेत्र कंस्ट्रक्शन की ओर से यह चंदा दिया गया है. लेकिन इस कंपनी ने तीन वर्षो में महज 68 हजार रुपये का लाभ कमाया है.

ऐसे में वह 1.40 करोड़ रुपये का चंदा कैसे दे सकती है. श्री सिन्हा ने कहा कि यह आर्थिक षडयंत्र है. सारधा घोटाले के काले पैसों को सफेद करने के लिए यह सब-कुछ किया जा रहा है. 2011-12 में यूनीक कंस्ट्रक्शन नामक कंपनी से 11 लाख रुपये का चंदा तृणमूल को मिला.

लेकिन इस कंपनी को उस अवधि में 13 करोड़ 61 लाख 78 हजार 216 रुपये का नुकसान हुआ था. ऐसा कैसे संभव हो सकता है. तृणमूल के बैलेंस सीट पर नजर डालें तो 2010-11 में उसे तसवीरों की बिक्री से आय शून्य थी. यानी मुख्यमंत्री ममता बनर्जी या तो उस वक्त तसवीरें नहीं बनाती थी या उनकी तसवीरों का खरीदार नहीं था. लेकिन सत्ता में आते ही स्थिति में परिवर्तन हो गया. 2011-12 में तसवीरों की बिक्री से तीन करोड़ 93 लाख 90 हजार रुपये की आय हुई. 2012-13 में तसवीरों की बिक्री से दो करोड़ 53 लाख रुपये की आय हुई. तृणमूल को 2010 में 10.26 लाख रुपये का चंदा मिला. 2011-12 में वह बढ़ कर 13 लाख 68 हजार 860 रुपये हुआ.

2012-13 में वह 35 लाख से अधिक हो गया. तृणमूल के बैंक खाते में 2010-11 में 5.71 करोड़ रुपये थे. 2011-12 में वह 10 करोड़ सात लाख रुपये हो गये. 2012-13 में वह 13 करोड़ 27 लाख रुपये हो गये, जबकि पार्टी के फील्ड वर्कर्स से चंदा घटता गया है. 2010-11 में जहां वह 29 लाख 85 हजार 417 रुपये थाख् वहीं 2011-12 में यह घट कर 19 लाख 99 हजार 526 रुपये हो गया. 2012-13 में तो यह और भी घट कर 10 लाख 56 हजार 810 रुपये हो गया. यानी पार्टी का जनाधार लगातार घटा है. लोगों को पार्टी को पैसों के जरिये समर्थन करने की जरूरत महसूस नहीं होती थी. स्पष्ट है कि तृणमूल आर्थिक गड़बड़ियों में फंसी है.

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