हनुमानजी ने लंकावासियों का मन मोह लिया था: शक्तिरामजी

कोलकाता. हनुमानजी भगवान श्रीराम के परम भक्त थे. इसलिए रामजी ने हनुमाजी को सीता मैया की खोज करने को कहा. रामजी के आदेश का पालन करने के लिए हनुमानजी लंका के लिए रवाना हुए. जब वे लंका पहुंचे थे तब उन्होंने अपना रूप बदल लिया था. इसलिए अधिकतर लंका वासियों ने श्री हनुमानजी को नहीं […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | January 14, 2015 9:03 PM

कोलकाता. हनुमानजी भगवान श्रीराम के परम भक्त थे. इसलिए रामजी ने हनुमाजी को सीता मैया की खोज करने को कहा. रामजी के आदेश का पालन करने के लिए हनुमानजी लंका के लिए रवाना हुए. जब वे लंका पहुंचे थे तब उन्होंने अपना रूप बदल लिया था. इसलिए अधिकतर लंका वासियों ने श्री हनुमानजी को नहीं पहचाना. सिर्फ विभीषण ने श्री हनुमानजी को पहचान लिया था. क्योंकि वे श्रीराम भक्त थे. विभीषण के चलते अधिकतर लंकावासी श्री हनुमानजी के मोहजाल में फंस गये थे. श्रीहरि सत्संग समिति की ओर से आयोजित श्रीरामचरित मानस नवाह्न के सातवें दिन श्री शक्तिरामजी महाराज ने सुंदरकांड प्रसंग पर कहा कि हनुमानजी यदि चाहते तो सीता मैया को सीधे लेकर चले आते लेकिन यह नियम के विरुद्ध था. इसलिए उन्होंने ऐसा नहीं किया. रामचरित मानस में श्री तुलसीदास कहते हैं कि श्री हनुमान ने सीता मैया को खोजने के दौरान कई रूप धारण किये. जहां जिस तरह की परिस्थिति थी उन्होंने वैसा रूप धारण किया. सीता मैया को उन्होंने रामभक्त के रूप में अपना परिचय दिया. जब हनुमाजी ने मैया को रामजी की अंगूठी दिखायी तब उन्होंने विश्वास किया क्योंकि सीता मैया को अशोक वाटिका में एक तरह से बंधक बना लिया गया था. इसलिए सीता मैया विचलित थीं. संस्था के पदाधिकारियों ने श्री शक्तिरामजी महाराज का माल्यार्पण कर स्वागत किया. संचालन पत्रकार प्रकाश चंडालिया ने किया.

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