सुनसान सागर तट पर छोड़ गये अपने

64 तीर्थयात्री नहीं लौट सके अपनों के साथ, इनमें 15 श्रद्धालु पटना और 10 गया के दो महिलाएं नहीं लौट कर जाना चाहती थी घर विकास गुप्ता कोलकाता : गंगासागर महापर्व तो खत्म हो गया, देश के कोने-कोने से सागर मेले में पहुंचे श्रद्धालु अपनों के साथ सकुशल घर भी लौट गये, लेकिन कुछ ऐसे […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | January 19, 2015 6:54 AM
64 तीर्थयात्री नहीं लौट सके अपनों के साथ, इनमें 15 श्रद्धालु पटना और 10 गया के
दो महिलाएं नहीं लौट कर जाना चाहती थी घर
विकास गुप्ता
कोलकाता : गंगासागर महापर्व तो खत्म हो गया, देश के कोने-कोने से सागर मेले में पहुंचे श्रद्धालु अपनों के साथ सकुशल घर भी लौट गये, लेकिन कुछ ऐसे लोग इस मेले से चेहरे पर मायूसी लेकर लौटे, जो अपनों के साथ यहां आये थे, लेकिन जाते-जाते बिछड़ गये. मेला खत्म होने के बाद सागर तट पर 46 चेहरे ऐसे थे, जिस पर गम और आंसू थे. घर लौट पाने और अपनों से मिलने की बेचैनी थी. चीमागुड़ी व लॉट 8 के पास भी 18 लोग ऐसे थे, जो घरवालों से बिछड़ गये थे. इन 64 लोगों में दो महिलाएं ऐसी थी, जो बिछड़े नहीं थे, बल्कि उन्हें उनके घरवाले जानबूछ कर सागर किनारे छोड़ कर चले गये.
एक को पति ने छोड़ा, दूसरी घर जाना ही नहीं चाहती
पुलिस अधिकारियों को सागर तट पर अलग-अलग जगहों से दो महिलाएं रोती हुई मिली थीं. एक नदिया जिले के नवद्वीप की रहनेवाली थी तो एक असम बॉर्डर के पास स्थित धूपगुड़ी की. पुलिस ने दोनों ही महिलाओं से रोने का कारण पूछा तो चौंकाने वाली जानकारी मिली. नवद्वीप की रहने वाली 35 वर्षीय महिला ने बताया कि घर में रोजाना कलह से परेशान होकर वह हमेशा के लिए गंगासागर में रहने आयी है.
वह घर लौट कर नहीं जाना चाहती. वहीं धूपगुड़ी की रहने वाली 40 वर्षीया महिला बताती है कि वह जोर-जोर से बातें करती हैं, जिससे उसके घरवाले परेशान रहते थे. आये दिन उसका उसके पति व ससुराल के सदस्यों के साथ झगड़ा भी होता था. इसके कारण उसका पति उसे गंगासागर दर्शन के बहाने ले आया और यहां छोड़ कर चला गया. वह भी अब घर लौटना नहीं चाहती. हालांकि पुलिस ने दोनों ही महिलाओं को किसी तरह समझा बुझा कर घर भेज दिया.
जिंदगी भर नहीं भूल पायेंगे दहशत भरा यह सफर
उत्तर प्रदेश के सुल्तानपुर से आये एक 60 वर्षीय वयस्क व्यक्ति के लिए भी गंगासागर का सफर जिंदगी भर नहीं भूलने वाला था. पीड़ित रामस्वरूप नायक का कहना है कि अपने जिले से वह एक बस में साथियों के साथ गंगासागर आये थे. यहां आने के बाद से वह अपने साथी के साथ बिछड़ गये. इसके बाद बदमाशों के हाथ में वह पड़ गये. बदमाशों ने उसके साथ मारपीट तो की ही. साथ ही उसका सारा सामान भी छीन लिया. गंगासागर का यह सफर उन्हें जिंदगी भर याद रहेगा.
बजरंग परिषद ने पहुंचाया सभी बिछुड़े लोगों को घर
गंगासागर आकर यहां अपनों से बिछड़ने वालों को घर तक पहुंचाने का काम करती आ रही संस्था बजरंग परिषद के मेला प्रभारी प्रेमनाथ दूबे ने बताया कि गंगासागर के अलावा नामखाना व चीमागुड़ी से कुल 64 बिछड़ों को उनके घर तक सुरक्षित पहुंचा दिया गया. इसके अलावा भी पुलिस की तरफ से जितने भी बिछड़े उनके पास भेजे जा रहे हैं, सभी को उनके आवास तक पहुंचा दिया जा रहा है. वहीं एक अन्य सदस्य शंभु बर्नवाल ने बताया कि 64 बिछड़े में से 46 सिर्फ गंगासागर में मिले, जिनमें 15 पटना के रहनेवाले, 10 गया के, तीन मुजफ्फरपुर के, दो गोरखपुर के, एक दिल्ली का और दो राजस्थान के और बाकी मध्य प्रदेश व छत्तीसगढ़ की रहनेवाले हैं, जितने भी बिछड़े लोग हैं, सभी की उम्र 55 से 75 के बीच है.

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