जीवन के उतार-चढ़ाव में ठहराव जरूरी : मुनि प्रमाणसागर

कोलकाता: स्थानीय बेलगछिया मंदिर में संत शिरोमणि आचार्य श्री 108 विद्यासागरजी महाराज के शिष्य मुनि प्रमाणसागरजी महाराज ने विशाल धर्म सभा को संबोधित करते हुए कहा कि भाग्य से जो कुछ पाया है उसे बनाने का प्रयास करो. अच्छा शरीर, स्वस्थ तन, रूप, बुद्धि, धन, संपन्नता, पारिवारिक परिवेश आदि सब कुछ भाग्य से पाया है. […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | July 29, 2013 6:48 AM

कोलकाता: स्थानीय बेलगछिया मंदिर में संत शिरोमणि आचार्य श्री 108 विद्यासागरजी महाराज के शिष्य मुनि प्रमाणसागरजी महाराज ने विशाल धर्म सभा को संबोधित करते हुए कहा कि भाग्य से जो कुछ पाया है उसे बनाने का प्रयास करो. अच्छा शरीर, स्वस्थ तन, रूप, बुद्धि, धन, संपन्नता, पारिवारिक परिवेश आदि सब कुछ भाग्य से पाया है. परंतु भ्रम में मत रहना कि जो कुछ भी पाया है वह अजर-अमर है. मनुष्य के जीवन में उत्थान, पतन का चक्र चलता रहता है. करोड़पति, रोडपति और रोडपति करोड़पति होते देखे गये हैं.

कब किसका भाग्य चमक उठे, कब किसका सितारा डूब जाये, कुछ कहा नहीं जा सकता. मनुष्य भाग्य को ऐसे संवारे कि सौभाग्य बन जाये. मुनि श्री प्रमाणसागरजी ने कहा कि कोलकाता वासियों ने निश्चय ही विशिष्ट पुण्य का संचय किया है, जिससे उन्हें सहज ही संत समागम व ऐसी स्थितियां उपलब्ध हो रही है. मुनि श्री ने कहा कि चार तरह के लोग होते हैं.

एक जो दूसरों को सुखी करके आनंदित होते है, दूसरे किसी को सुखी देख कर आनंदित होते हैं, तीसरे किसी को दुखी देख कर आनंद प्राप्त करते है व चौथे प्रकार के लोग दूसरों को दुखी करके आनंद प्राप्त करते हैं. मुनि श्री ने रविवारीय विशेष मंगल प्रवचन के अवसर पर लोगों को संबोधित करते हुए कहा कि व्यक्ति में संवेदनहीनता व संकीर्ण सोच की पद्धति आ गयी है. जीवन के बदलाव की आवश्यकता पर जोर देते हुए मुनिश्री ने कहा कि अपने सुख के लिए दूसरों की हिंसा कर रहे हो, इसमें बदलाव की आवश्यकता है. प्रकृति, विकृति, संस्कृति व दुष्कृति की चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि भाग्य को ऊंचा उठाना हो तो अपनी जीवन शैली में परिवर्तन करें. जीवन के पथ को प्रशस्त करने के लिए जीवन शैली में कुछ परिवर्तन करते हुए साधना और वैराग्य के मार्ग का अनुसरण करो. छोटे-छोटे बदलाव, बड़े परिणाम दे सकते हैं.

स्टाइल बदलेगी तो लाइफ बदल जायेगी. जीवन के उतार-चढ़ाव में ठहराव की आवश्यकता है. चिंता, संताप, आतुरता, कुंठा, अतृप्ति से बचना है तो जीवन के उतार-चढ़ाव में ठहराव बनायें, तभी जीवन का सच्च आनंद ले सकेंगे. मंगलाचरण शशि पाटनी व सीमा सेठी ने किया. प्रभात सेठी ने भजन की प्रस्तुति दी. संचालन अजीत पाटनी ने किया. आचार्य विद्यासागरजी महाराज के चित्र का अनावरण दीप प्रज्जवलण मुनि भक्त तेजराज कासलीवाल परिवार द्वारा किया गया. मुनि विराटसागरजी महाराज ने भी एक कविता के माध्यम से जीवन की नश्वरता का बोध कराया. इस अवसर पर राज्य की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के भाई सपन बनर्जी भी उपस्थित होकर मुनिश्री का प्रवचन सुना. मुनिसंघ व्यवस्था समिति ने श्री बनर्जी को माला, मोमेंटो व शॉल भेंट कर सम्मान किया.

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