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ऑनलाइन ठग: रिचार्ज से हो सकते हैं डिस्चार्ज

कोलकाता: खुद को बैंक व एटीएम सेंटर का अधिकारी बता कर लोगों को फोन कर उनके एटीएम व क्रेडिट कार्ड की जानकारी लेकर उनके अकाउंट से लाखों रुपये की ठगी करने के दो मामलों में पुलिस ने कुल सात लोगों को गिरफ्तार किया है. गिरोह के सदस्यों में रिचार्ज सेंटर के मालिक भी शामिल है. […]

कोलकाता: खुद को बैंक व एटीएम सेंटर का अधिकारी बता कर लोगों को फोन कर उनके एटीएम व क्रेडिट कार्ड की जानकारी लेकर उनके अकाउंट से लाखों रुपये की ठगी करने के दो मामलों में पुलिस ने कुल सात लोगों को गिरफ्तार किया है. गिरोह के सदस्यों में रिचार्ज सेंटर के मालिक भी शामिल है.

गिरफ्तार आरोपियों के नाम अजय कुमार (30), अजीत कुमार (25), श्याम सुंदर (25), राजा चंद्रा (19), सौरेन बल (19), बिप्लव कुमार मंडल (19) और इंद्रजीत कुमार बल (23) बताये गये हैं. सभी को झारखंड के बोकारो, जामतारा व देवघर से गिरफ्तार किया गया है. इनके पास से मोबाइल व सिमकार्ड पुलिस को मिला है. महानगर लाकर सभी को अदालत में पेश करने पर आरोपियों को 30 जनवरी तक पुलिस हिरासत में भेज दिया गया.

कैसे करते थे ठगी
मामले पर विशेष अतिरिक्त व संयुक्त पुलिस आयुक्त (अपराध) ने बताया कि पूरे झारखंड में इस तरह का गैंग काम कर रहा है, जो पूरे पूर्वी भारत के विभिन्न हिंदी भाषी प्रदेशों में लोगों को फोन कर ठगी का यह धंधा चला रहे हैं. शुरुआत में यह गैंग खुद को बैंक अधिकारी व एटीएम सेंटर का कर्मचारी बता कर बैंक अकाउंट अपडेट के नाम पर ग्राहकों का डेटा जान लेते थे. खास कर महिलाओं को ये अपना शिकार बनाते थे. फोन पर बैंक अधिकारी सुनते ही महिला व पुरुष गिरोह के सदस्यों से एटीएम व क्रेडिट कार्ड नंबर व पिन नंबर इन्हें बता देते थे. जिसके बाद यह ठगी का धंधा चलाते थे.

अकाउंट की सारी जानकारी मिलते ही यह गिरोह बिना कागजात के सिमकार्ड के जरिये हजारों फर्जी नाम व पता से इमेल अकाउंट बनाते थे. जहां से कई तरह के मोबाइल एप्स के जरिये यह गिरोह ग्राहकों के हजारों रुपये अपने मोबाइल एप्स एकाउंट में ट्रांसफर कर लेते थे. मोबाइल एप्स में फर्जी नाम व पता से बने इमेल में हजारों रुपये आते ही गिरोह के दूसरे सदस्य इलाके के रिचार्ज सेंटर के मालिक व कर्मचारियों से संपर्क करते थे. संपर्क होने के बाद ही यह उन्हें महज पांच से सात हजार नगदी देने पर 8 से 10 हजार रुपये का रिचार्ज अमाउंट देने का प्रलोभन देते थे. इनके प्रलोभन में आने वाले रिचार्ज सेंटर के मालिकों को व्हाट्स एप्स के जरिये इमेल आइडी व पासवर्ड भेज देते थे. इमेल आइडी व पासवर्ड के जरिये रिचार्च सेंटर के मालिक से अपने मोबाइल एप्स से विभिन्न कंपनियों के मोबाइल नंबर, बीमा पॉलिसी के रकम, बिजली बिल का भुगतान व टीवी कनेक्शन का रिचार्ज कर इन रुपये को कैश करा लिया जाता था.

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