तृणमूल कांग्रेस को लगे झटके
कोलकाता/ नयी दिल्ली. राज्य में सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस और पश्चिम बंगाल सरकार को सुप्रीम कोर्ट में जबरदस्त झटका लगा. उच्चतम न्यायालय ने करोड़ों रुपये के सारधा घोटाले की सीबीआइ जांच की निगरानी करने से इनकार कर दिया. कोर्ट ने कहा कि तृणमूल सीबीआइ पर जांच में ‘लापरवाही’ बरतने का कोई आरोप नहीं लगाया है. न्यायालय […]
कोलकाता/ नयी दिल्ली. राज्य में सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस और पश्चिम बंगाल सरकार को सुप्रीम कोर्ट में जबरदस्त झटका लगा. उच्चतम न्यायालय ने करोड़ों रुपये के सारधा घोटाले की सीबीआइ जांच की निगरानी करने से इनकार कर दिया. कोर्ट ने कहा कि तृणमूल सीबीआइ पर जांच में ‘लापरवाही’ बरतने का कोई आरोप नहीं लगाया है.
न्यायालय ने सीबीआइ द्वारा सारधा जांच के बारे में मीडिया को चुनकर सूचना लीक करने के पश्चिम बंगाल सरकार और तृणमूल कांग्रेस के आरोपों को भी ठुकरा दिया. साथ ही न्यायालय ने सीबीआइ की जांच में कथित रूप से बाधा डालने के कारण मुख्यमंत्री ममता बनर्जी और राज्य के कानून मंत्री के खिलाफ अवमानना की कार्यवाही शुरू करने से भी इनकार कर दिया.
न्यायमूर्ति तीरथ सिंह ठाकुर और न्यायमूर्ति सी नागप्पन की खंडपीठ ने कहा, ‘हमें इन दो अवमानना याचिकाओं पर विचार करने की कोई वजह नजर नहीं आती है विशेषकर जब सीबीआइ को उनके खिलाफ कोई शिकायत नहीं है.’ न्यायाधीशों ने कहा कि इस बारे में जांच एजेंसी को ही आरोप लगाना होगा और नेताओं के खिलाफ कार्रवाई का अनुरोध करना होगा. शीर्ष अदालत ने सारधा घोटाले की जांच सीबीआइ को स्थानांतरित की थी, लेकिन उसने राज्य पुलिस को सारधा घोटाले से इतर उन 193 मामलों में आगे कार्यवाही की अनुमति दे दी जिसमें पश्चिम बंगाल पुलिस सक्षम अदालत में आरोप पत्र दाखिल कर चुकी है. इससे पहले, सीबीआइ की ओर से सालिसीटर जनरल रंजीत कुमार और अतिरिक्त सालिसीटर जनरल मनिंदर सिंह ने कहा कि जांच एजेंसी इन 193 मामलों की आगे जांच नहीं करना चाहती और वैसे भी इन मामलों में राज्य पुलिस आरोप पत्र दाखिल कर चुकी है.
पश्चिम बंगाल सरकार की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने सीबीआइ सूत्रों के हवाले से ‘तरह तरह की खबरें’ करने से मीडिया को रोकने के अनुरोध पर जोर नहीं दिया.
न्यायाधीशों ने भी टिप्पणी की, ‘हम मीडिया को अपना काम करने से नहीं रोक सकेंगे. ये ऐसे मामले हैं जिन पर नियंत्रण नहीं किया जा सकता. सीबीआइ जांच कर रही है. मीडिया अपना काम कर रहा है. हमें अपना काम करना चाहिए.’ न्यायाधीशों ने सिब्बल से जानना चाहा कि राज्य सरकार सीबीआइ पर चुनकर सूचनाएं लीक करने का आरोप लगा रही है.
इस पर सिब्बल ने कहा, ‘नहीं, राज्य सरकार के रूप में हम आपत्ति नहीं कर सकते.’ सालिसीटर जनरल और उपमहानिरीक्षक स्तर के सीबीआइ के एक अधिकारी ने न्यायालय को सूचित किया कि जांचकर्ता मीडिया को कोई भी सूचना देने के लिये अधिकृत नहीं हैं और वैसे भी आमतौर पर खबरों को भरोसेमंद बनाने के लिये इसे सीबीआइ सूत्रों का हवाला बताया जाता है.
उपमहानिरीक्षक स्तर के अधिकारी ने व्यक्तिगत रुप से न्यायालय को बताया कि जांच से जुड़े एजेंसी का दल ‘कभी भी प्रेस से बात नहीं करता है’ और ‘वे अपनी रिपोर्ट को भरोसेमंद बनाने के लिये सीबीआइ स्नेत का हवाला देते हैं’ और ऐसी खबरें ‘उनकी मनगढ़ंत कल्पना होती है जिसका हम खंडन नहीं करते.’ इस अधिकारी ने कहा, ‘न तो हम इस जांच के बारे में प्रेस को सूचना लीक करते हैं और न ही हम कोई स्पष्टीकरण दे रहे हैं और प्रेस कांफ्रेंस के माध्यम से भी हमारा प्रेस से कोई संवाद नहीं होता है. आधिकारिक रूप से दिल्ली में सीबीआइ के मुख्यालय में मीडया ब्रीफिंग होती है.’ सालिसीटर जनरल ने भी इस आशंका का निराकरण किया कि सीबीआइ सूचना लीक करती है.
करीब डेढ़ घंटे की सुनवाई के दौरान तृणमूल कांग्रेस के वकील ने इस मामले में पार्टी को भी पक्षकार बनाने का अनुरोध किया. इस पर न्यायाधीशों ने कहा, ‘आप (टीएमसी) हमें बताएं कि सीबीआइ ऐसा क्या नहीं कर रही है जो उसे करना चाहिए. सीबीआइ जांच के लिये स्वतंत्र है. कानून अपना काम करेगा. यदि कोई पार्टी या व्यक्ति इससे परेशान हो रहा है तो उसे अदालत से राहत की गुहार करनी चाहिए.’ न्यायालय ने सीबीआइ के इस कथन पर भी कड़ा रुख अपनाया कि चिट फंड घोटाले के सारे मामलों की जांच के लिये उसके पास पर्याप्त संख्या में मानवशक्ति नहीं हैं.
न्यायाधीशों ने कहा, ‘हमारे पहले के आदेश के अनुसार सारी जांच सीबीआइ को हस्तांतरित कर दी गयी थी और अब आप हमारे आदेश में संशोधन के बगैर सारे मामलों को हाथ में लेने से इनकार नहीं कर सकते हैं. हमारा पहले का आदेश साफ साफ कहता है कि सारे मामले सीबीआइ को हस्तांतरित हो गये हैं.’ इस पर सालिसीटर जनरल ने कहा कि सीबीआइ को पहले इस घोटाले के ‘परिमाण’ का अहसास नहीं था और इस संबंध में अब वह उचित अर्जी दाखिल करेगी.
क्या कहा अदालत ने
न्यायाधीशों ने भी टिप्पणी की, ‘हम मीडिया को अपना काम करने से नहीं रोक सकेंगे. ये ऐसे मामले हैं जिन पर नियंत्रण नहीं किया जा सकता. सीबीआइ जांच कर रही है. मीडिया अपना काम कर रहा है. हमें अपना काम करना चाहिए.’ न्यायाधीशों ने सिब्बल से जानना चाहा कि राज्य सरकार सीबीआइ पर चुनकर सूचनाएं लीक करने का आरोप लगा रही है.