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केंद्र के दिये 3,086 करोड़ रुपये का ममता सरकार नहीं दे रही कोई हिसाब : दिलीप

पश्चिम बंगाल प्रदेश भाजपा के अध्यक्ष दिलीप घोष (Dilip Ghosh) ने राज्य सरकार (Mamta government) पर आरोप लगाया कि केंद्र सरकार को विभिन्न चक्रवाती तूफान के बाद राहत सहित अन्य मद में दिये गये 3,086 करोड़ रुपये का राज्य सरकार ने अभी तक कोई हिसाब नहीं दिया है.

By Prabhat Khabar Digital Desk | May 26, 2020 9:56 PM

कोलकाता : पश्चिम बंगाल प्रदेश भाजपा के अध्यक्ष दिलीप घोष (Dilip Ghosh) ने राज्य सरकार (Mamta government) पर आरोप लगाया कि केंद्र सरकार को विभिन्न चक्रवाती तूफान के बाद राहत सहित अन्य मद में दिये गये 3,086 करोड़ रुपये का राज्य सरकार ने अभी तक कोई हिसाब नहीं दिया है. श्री घोष मंगलवार को साल्टलेक स्थित अपने आवास पर संवाददाताओं से बातचीत कर यह जानकारी दिये.

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उन्होेंने कहा कि मुख्यमंत्री की बातें पैसे से शुरू होती हैं और पैसे पर ही समाप्त होती है. मुख्यमंत्री बार-बार यह आरोप लगाती हैं कि केंद्र पैसा नहीं दे रहा है, लेकिन वर्ष 2009 से केंद्र सरकार ने समय पर राज्य सरकार को 3,086 करोड़ रुपये का अनुदान दिया है, लेकिन उसका कोई हिसाब राज्य सरकार ने नहीं दिया है.

भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष ने दावा किया कि आइला, बुलबुल, नदी सुधार सहित विभिन्न क्षेत्रों में 2009 से अब तक हजारों करोड़ रुपये आ चुके हैं. उस पैसे का कोई हिसाब नहीं है, लेकिन वह सिर्फ आरोप लगाती हैं कि केंद्र पैसा नहीं दे रहा है. सुंदरवन के मैंग्रो नष्ट हो रहे हैं. मैंग्रो चक्रवाती तूफान से रक्षा का कार्य करता है, लेकिन तृणमूल कांग्रेस के नेताओं की मदद से मैंग्रो काट कर भेरी बनाये जा रहे हैं. मैंग्रो के नष्ट होने से पर्यावरण का संतुलन बिगड़ रहा है. सुंदरवन चक्रवात झेलने की अपनी क्षमता खो रहा है. राज्य में आपदा प्रबंधन मंत्री हैं, लेकिन वह पिछले 7 दिनों से कहीं नहीं दिख रहे हैं.

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उन्होंने कहा कि महानगर के लोग परेशान हैं, लेकिन कोई पार्षद, कोई मंत्री सड़क पर दिखायी नहीं दे रहे हैं. सीइएससी (CESC) को जवाबदेह ठहराया जा रहा है. श्री घोष ने प्रवासी श्रमिकों के मुद्दे पर राज्य को निशाना बनाते हुए कहा कि प्रवासी श्रमिकों को अब राज्य सरकार वापस नहीं लाना चाहती है. सभी राज्यों ने अपने प्रवासी श्रमिकों को कई ट्रेनों से वापस लाया है, लेकिन बंगाल सरकार ने सिर्फ प्रवासी श्रमिकों के साथ धोखा किया है. केवल 35,000 प्रवासी श्रमिक राज्य में लौटे हैं. अभी भी 34 लाख प्रवासी श्रमिक राज्य में लौटने के इंतजार में हैं.

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श्री घोष ने कहा कि जो लोग अपने घर से दूर गये थे. वे लौटना चाहते हैं. उनके लौटाने की जिम्मेदारी राज्य सरकार की है, लेकिन राज्य सरकार पालन नहीं कर रही है और अब जब ट्रेन और हवाई सेवाएं शुरू हो रही है और राज्य सरकार को केवल टेस्ट करने हैं और कोरेंटिन सेंटर बनाने हैं, तो उसकी भी व्यवस्था सरकार नहीं कर पा रही है. पूरा जिम्मा पंचायत और नगरपालिका पर छोड़ दिया जा रहा है.

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