भगवान की मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा का स्थान आस्था का केंद्र
फोटोबोले मुनिश्री रविपद्मसागरजीहावड़ा. उत्तर हावड़ा श्री जैन श्वेताम्बर मूर्तिपूजक संघ द्वारा नवनिर्मित श्री आदिनाथ जैन मंदिर, रोजमेरी लेन में महामंगलकारी अंजनशलाका प्रतिष्ठा समारोह के अवसर पर मुनिश्री रविपद्मसागरजी ने अपने प्रवचन में कहा कि भारतीय संस्कृति में वैदिक मंत्रोच्चारण के साथ भगवान की मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा की जाती है, वही स्थान पूज्य एवं आस्था […]
फोटोबोले मुनिश्री रविपद्मसागरजीहावड़ा. उत्तर हावड़ा श्री जैन श्वेताम्बर मूर्तिपूजक संघ द्वारा नवनिर्मित श्री आदिनाथ जैन मंदिर, रोजमेरी लेन में महामंगलकारी अंजनशलाका प्रतिष्ठा समारोह के अवसर पर मुनिश्री रविपद्मसागरजी ने अपने प्रवचन में कहा कि भारतीय संस्कृति में वैदिक मंत्रोच्चारण के साथ भगवान की मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा की जाती है, वही स्थान पूज्य एवं आस्था का केंद्र बन जाता है. उन्होंने कहा कि मंदिर में विराजित प्रभु सदैव श्रद्धालुओं के मन-मानस में विराजित रहते हैं. जीवन में मान-प्रतिष्ठा, कीर्ति-प्रतिष्ठा एवं प्रभु की प्रतिष्ठा महत्वपूर्ण है. चतुर्थ दिन जन्म बधाई, नामकरण, पाठशाला गमन, लग्न महोत्सव, राज्याभिषेक, नवलोकांतिक देवों द्वारा विनती एवं धार्मिक कार्यक्रम आचार्य श्री विनयसागर सूरीश्वरजी एवं मुनिश्री रविपद्मसागरजी के सान्निध्य में संपन्न हुए. साध्वी विजयप्रभा श्रीजी, संयमपूर्णा श्रीजी, चंदनबाला श्रीजी, प्रभंजना श्रीजी, आदि ठाणा समारोह में श्रद्धालुओं का मार्गदर्शन कर रही हैं. महोत्सव की सफलता के लिए पद्मचंद रामपुरिया, नरेंद्र बांठिया, मनीष कुमार सुराणा, विजय जैन, जिनेंद्र गोलछा, प्रकाश जैन, दिलीप कंुडलिया, टिकमचंद डागा, घेवरचंद अंगारा, संजय जैन, दिनेश जैन एवं कार्यकर्ता सक्रिय हैं.