ममता ने हसीना को दिया न्योता

ढाका. पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना को अपने राज्य की यात्र करने के लिए शनिवार को आमंत्रित किया. ममता ने अपनी तीन दिवसीय ढाका यात्र के आखिरी दिन शेख हसीना से मुलाकात की. दोनों की मुलाकात 30 मिनट चली. ममता ने शेख हसीना को अपनी ‘प्रिय दीदी’ बताया. […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | February 22, 2015 6:56 AM
ढाका. पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना को अपने राज्य की यात्र करने के लिए शनिवार को आमंत्रित किया. ममता ने अपनी तीन दिवसीय ढाका यात्र के आखिरी दिन शेख हसीना से मुलाकात की. दोनों की मुलाकात 30 मिनट चली. ममता ने शेख हसीना को अपनी ‘प्रिय दीदी’ बताया. ममता ने ट्वीट किया : आज, मुङो बांग्लादेश की सम्मानीय प्रधानमंत्री शेख हसीना जी से मिलने का गौरव मिला जो मेरी प्रिय दीदी हैं.

उन्होंने एक अन्य ट्वीट में कहा : मैंने सम्मानीय प्रधानमंत्री को पश्चिम बंगाल की यात्र करने के लिए आमंत्रित किया. ममता की यात्र से भूमि सीमा समझौता के अनुमोदन और तीस्ता जल हिस्सेदारी समझौते को लेकर गतिरोध दूर होने की उम्मीदें बन गयी हैं. इससे पहले पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने शनिवार को बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना से मुलाकात की और दोनों नेताओं ने भारत और बांग्लादेश से संबंधित मुद्दों पर चर्चा की.

उम्मीद की जा रही थी कि दोनों के बीच की चर्चा में तीस्ता नदी जल बंटवारा और जमीनी सीमा समझौते की अभिपुष्टि के मुद्दे उभरेंगे और यह स्पष्ट नहीं है कि बिना किसी सहयोगी की उपस्थिति के दोनों नेताओं की आधे घंटे की बैठक में क्या बातें हुईं. हसीना ने ममता के सम्मान में भोज का आयोजन किया. तीन दिन की यात्र पर गुरुवार को यहां पहुंचीं ममता ने कहा कि पश्चिम बंगाल से बांग्लादेश को जो ‘अपेक्षाएं’ हैं, वह उसपर कदम उठाने को उत्सुक हैं.

ममता की यात्र से तीस्ता नदी जल बंटवारा समझौते के समाधान और जमीनी सीमा समझौते की अभिपुष्टि की दिशा में प्रगति की उम्मीद बढ़ी है. ममता बनर्जी वर्ष 2011 में पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री बनने के बाद पहली बार बांग्लादेश की यात्र पर आयी हैं. उन्होंने पश्चिम बंगाल और बांग्लादेश के बीच सांस्कृतिक रिश्तों को और मजबूत करने के लिए कई उपायों का प्रस्ताव किया है, जिनमें बांग्लादेश के संस्थापक बंगबंधु शेख मुजीबुर रहमान के नाम पर ‘बंगबंधु भवन’ का निर्माण भी शामिल है. ममता बांग्लादेशी राष्ट्रपति अब्दुल हमीद से भी मिलेंगी. उल्लेखनीय है कि 2011 में तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की बांग्लादेश यात्र के दौरान तीस्ता समझौते पर हस्ताक्षर होना तय था, लेकिन आखिरी समय में ममता ने इसका विरोध किया था. तीस्ता समझौते को तब ठंडे बस्ते में डाल दिया गया, क्योंकि ममता ने यह कहते हुए जल के प्रस्तावित परिमाण पर एतराज जताया था कि इससे उनके राज्य को नुकसान पहुंचेगा.

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