पूर्वी भारत प्लास्टिक बाजार के लिए उपयुक्त : डॉ गोर
कोलकाता: भारत के पूर्वी क्षेत्रों पश्चिम बंगाल, बिहार, ओड़िशा, झारखंड व असम में प्लास्टिक से बने पदार्थो की काफी मांग है, लेकिन इन क्षेत्रों में प्लास्टिक के कारखानों की संख्या कम है. ऐसे में पूर्वी क्षेत्र में इस उद्योग में निवेश बढ़ाना फायदेमंद है. ये बातें ऑल इंडिया प्लास्टिक मैन्यूफैक्चर एसोसिएशन (एआइपीएम) के अध्यक्ष डॉ […]
कोलकाता: भारत के पूर्वी क्षेत्रों पश्चिम बंगाल, बिहार, ओड़िशा, झारखंड व असम में प्लास्टिक से बने पदार्थो की काफी मांग है, लेकिन इन क्षेत्रों में प्लास्टिक के कारखानों की संख्या कम है. ऐसे में पूर्वी क्षेत्र में इस उद्योग में निवेश बढ़ाना फायदेमंद है.
ये बातें ऑल इंडिया प्लास्टिक मैन्यूफैक्चर एसोसिएशन (एआइपीएम) के अध्यक्ष डॉ आशुतोष गोर ने कहीं. वह सोमवार को महानगर के एक पांच सितारा होटल में एआइपीएम की ओर से आयोजित एक संवाददाता सम्मेलन को संबोधित कर रहे थे. डॉ गोर ने बताया कि भारत में प्लास्टिक इंडस्ट्री की सालाना विकास दर लगभग 14 फीसदी है, जबकि पूर्वी भारत में प्लास्टिक इंडस्ट्री का ग्रोथ रेट लगभग 9 फीसदी है.
इससे पूर्वी क्षेत्र में प्लास्टिक व उसके उत्पादों की मांग का अंदाजा लगाया जा सकता है. डॉ गोर ने बताया कि भारत में प्लास्टिक उद्योग को बढ़ावा देने के लिए दिसंबर में एआइपीएम की ओर से नौवां प्लास्टिविजन इंडिया का आयोजन किया जायेगा. इसके जरिये ट्रेड व जॉब फेयर लगाया जायेगा. इस ट्रेड व जॉब फेयर में लगभग एक लाख दर्शक व 30 देशों के लगभग 1500 प्रदर्शक पहुंचेंगे. अध्यक्ष ने बताया कि प्लास्टिक उद्योग की वजह से भारत में लगभग 3.5 मिलियन लोगों को रोजगार मिला है. एआइपीएम ने पांच वर्षो में इस संख्या को बढ़ा कर पांच मिलियन करने के योजना बनायी है. उन्होंने बताया कि प्लास्टिक का उपयोग करने के मामले में विश्व में भारत आठवें स्थान पर है. अगले 2020 तक भारत तीसरे स्थान पर पहुंच जायेगा. संवाददाता सम्मेलन में एआइपीएम के चेयरमैन राजू देसाई ने भी अपने विचार रखे.