एक साथ सचिवालय का स्थानांतरण उचित नहीं

कोलकाता: राइटर्स बिल्डिंग से राज्य सचिवालय को हावड़ा के एचआरबीसी बिल्डिंग में स्थानांतरण के खिलाफ सरकारी कर्मचारियों का विरोध प्रदर्शन जारी है. सोमवार को राज्य को-आर्डिनेशन कमेटी के महासचिव अनंत बनर्जी ने राज्य सचिवालय के स्थानांतरण पर सवालिया निशान लगाते हुए कहा कि राज्य सरकार को चरणबद्ध तरीके से सचिवालय का स्थानांतरण करना चाहिए. उन्होंने […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | August 20, 2013 8:56 AM

कोलकाता: राइटर्स बिल्डिंग से राज्य सचिवालय को हावड़ा के एचआरबीसी बिल्डिंग में स्थानांतरण के खिलाफ सरकारी कर्मचारियों का विरोध प्रदर्शन जारी है. सोमवार को राज्य को-आर्डिनेशन कमेटी के महासचिव अनंत बनर्जी ने राज्य सचिवालय के स्थानांतरण पर सवालिया निशान लगाते हुए कहा कि राज्य सरकार को चरणबद्ध तरीके से सचिवालय का स्थानांतरण करना चाहिए. उन्होंने कहा कि राइटर्स बिल्डिंग में कुल 28 विभाग हैं, जो करीब पांच लाख वर्ग फीट क्षेत्र में बने हुए हैं, जबकि एचआरबीसी भवन का कुल क्षेत्रफल मात्र 1.5 लाख वर्ग फीट है. सभी विभागों का वहां एक साथ स्थानांतरण कर पाना संभव नहीं है.

उनका कहना है कि राइटर्स बिल्डिंग में पुनर्विकास कार्य जरूरी है, लेकिन इसके लिए पूरे राज्य सचिवालय का स्थानांतरण सही नहीं है. इससे राज्य सरकार का खर्च भी बढ़ेगा. उनका कहना है कि सरकारी कर्मचारियों का सरकार पर 28 फीसदी डीए बकाया है. राज्य सरकार इसका भुगतान करने के बजाय करोड़ों रुपये खर्च करके राज्य सचिवालय का पुनर्विकास करने की योजना बनायी है.

सरकारी कर्मचारियों का कहना है कि राज्य सरकार को परिवहन खर्च के बारे में भी ध्यान देना चाहिए. साथ ही कमेटी ने एचआरबीसी बिल्डिंग में यूनियन के कार्यालय व कैंटीन का स्थानांतरण नहीं करने का भी विरोध किया है. राइटर्स बिल्डिंग के विभिन्न क्षेत्रों में 17 कर्मचारी यूनियन के कार्यालय हैं, राज्य सरकार ने नोटिस में साफ कर दिया है कि इस अस्थायी स्थानांतरण में यूनियन कार्यालयों के लिए कोई जगह नहीं होगी. साथ ही कैंटीन का स्थानांतरण भी नहीं किया जायेगा. राइटर्स बिल्डिंग का पुनर्विकास करने के बाद फिर से कैंटीन व सरकारी यूनियनों को राइटर्स बिल्डिंग में जगह मिलेगा या नहीं, इस संबंध में भी कुछ नहीं किया गया है. राज्य सरकार ने यह फैसला लेने के लिए किसी भी कर्मचारी यूनियन से कोई बातचीत नहीं की है, इसलिए कर्मचारी यूनियन के लिए इस आदेश का पालन कर पाना संभव नहीं है.

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