क्लास रूम से निकल कर फेसबुक पर

कोलकाता: रवि : कल सिमरन मैम की क्लास नहीं कर सका. उनका पर्सनैलिटी डेवलपमेंट का पेज 9 का नोट्स है, तो प्लीज पोस्ट करो, एंड फॉरवर्ड इट टू अदर्स. सोमा : मैंने नोट्स डाल दिया है. प्लीज चेक.अनुष्का : थैंक यू सोमा, मुङो भी नोट्स चाहिए था. अच्छा, फीस जमा करने का लास्ट डेट क […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | July 16, 2013 1:34 PM

कोलकाता: रवि : कल सिमरन मैम की क्लास नहीं कर सका. उनका पर्सनैलिटी डेवलपमेंट का पेज 9 का नोट्स है, तो प्लीज पोस्ट करो, एंड फॉरवर्ड इट टू अदर्स.

सोमा : मैंने नोट्स डाल दिया है. प्लीज चेक.
अनुष्का : थैंक यू सोमा, मुङो भी नोट्स चाहिए था. अच्छा, फीस जमा करने का लास्ट डेट क ब है. किसी को पता है क्या ?

विहान : 22 तारीख को है. लेट नो अदर्स.
सोशल नेटवर्किग साइट फेसबुक पर एक ग्रुप पेज ‘बीएमएस द फैमिली’ पर ऐसे अनगिनत पोस्ट हैं. यह पेज टेक्नो इंडिया कॉलेज के मीडिया साइंस के तीसरे वर्ष के छात्रों का है. इसमें क्लास के लगभग सारे स्टूडेंट्स मेंबर हैं. कुछ शिक्षक और कॉलेज के एक्स स्टूडेंट्स भी हैं. फेसबुक पर यह पेज 24 घंटे चलनेवाला एक क्लास रूम का शक्ल ले चुका है, जो छात्रों के लिए बहुत मददगार साबित हो रहा है. यहां हंसी-मजाक से साथ पढ़ाई हो जाती है. ग्रुप के छात्रों को स्टडी के वक्त जब भी कुछ उलझन होती है, इस पेज पर अपना सवाल पोस्ट कर देते हैं. फिर क्या, कुछ ही देर में एक नहीं, कई जवाब मिल जाते हैं. अगर नोट्स नहीं है, तो यहां एक पोस्ट से कुछ ही देर में नोट्स की कॉपी मिल जाती है. कुछ स्टूडेंट्स तो उनके नोट्स तैयार होते ही उसकी कॉपी दोस्तों की सुविधा के लिए एटैच करके पोस्ट व शेयर कर देते हैं.

ग्रुप की छात्र सुरक्षा तिवारी कहती हैं, इस क्लास में बच्चे मूड व जरूरत के अनुसार घुसते (लॉग इन) हैं और निकल (लॉग आउट) भी जाते हैं. यह बोरिंग नहीं, रोचक है. यह क्लास रूम कभी बंद नहीं रहता. यहां कभी दो तो कभी 20 से भी अधिक फ्रेंड्स ऑनलाइन रहते हैं. जहां आपस में चैट के साथ कमेंट दर कमेंट अच्छी खासी ग्रुप डिस्कशन भी हो जाती है. जहां हंसी-मजाक करने पर कोई डांट नहीं लगाती. कभी-कभी तो टीचर व सीनियर स्टूडेंट्स भी शामिल होकर समस्याओं का समाधान कर देते हैं.
ग्रुप के रोहित सान्याल के मुताबिक, ग्रुप बनाने का आइडिया पृथ्वीराज सर ने दिया. पहले कुछ फ्रेंड ने मिल कर फेसबुक पर ग्रुप क्रिएट किया. फिर धीरे-धीरे सारे क्लासमेट इससे जुड़ गये. अक्सर कॉलेज की सभी क्लासेस सभी छात्र नहीं कर पाते या फिर कभी-कभी क्लास में टीचर का लेक्चर समझ नहीं आता. सारे नोट्स भी सबके पास नहीं रहते. ऐसे में फेसबुक बहुत हेल्पफुल है. यहां हमारे ग्रुप में क्लास के लगभग सभी स्टूडेंट्स हैं. सभी कम से कम दिन में पांच से छह घंटे ऑनलाइन रहते ही हैं. यहां टाइम पास के साथ पढ़ाई भी हो जाती है.

रिहान शर्मा के मुताबिक परीक्षा के टाइम अक्सर नोट्स, टॉपिक्स, सजेशंस, फीस को लेकर काफी प्रॉब्लम्स होती हैं. फेसबुक के जरिये सारे सॉल्व हो जाते हैं. फेसबुक की हेल्प से हम अपनी पढ़ाई भी पूरी कर सकते हैं. यह आसान, फास्ट और किफायती भी है.

मोनिदीपा सेन कहती हैं, कई बच्चों को फेसबुक का इस्तेमाल करने से घरों में डांट पड़ती हैं. उन्हें लगता है कि फेसबुक पर वे केवल लोगों से बातचीत करने में अपना पूरा समय बरबाद करते रहते हैं. गंदी साइट्स देखते हैं. लेकिन फेसबुक से हमें बहुत-सी सहायता मिलती हैं. फेसबुक पर कई न्यूज व जेनरल नॉलेज सं संबंधित पेज हैं, जिसे लाइक करने से हमें उनके सारे अपडेट्स मालूम होते रहते हैं. बहुत कुछ जानने को मिलता है.

शिक्षक अनूप भट्टाचार्य कहते हैं, आज के जेनरेशन में यह एक पॉपुलर कहावत है : (19 वीं सदी का भारत) : नेकी कर दरिया में डाल, (21 वीं सदी का भारत) : कुछ भी करो फेसबुक पर डाल. फेसबुक आज के जेनरेशन की आदत में शुमार है. यहां ग्रुप पेज कल्चर उनकी सबसे रोचक ईजाद है. इसके जरिये फेसबुक का सदुपयोग हो रहा है. सिर्फ टेक्नो इंडिया के छात्र ही नहीं, अधिकतर कॉलेजों के छात्र, कला-साहित्य से जुड़े लोग, खेल-मनोरंजन से जुड़े लोग भी फेसबुक पर इस तरह के पेज बना रहे हैं. वे अपने मोबाइल, टैब, लैपटॉप के जरिये ऑनलाइन रहते हैं. कई युवा तो दिन भर ऑनलाइन दिख जायेंगे. ये फे सबुक को सिर्फ सोशल मीडिया की तरह नहीं, बल्कि इंफॉरमेटिव मीडिया की तरह इस्तेमाल कर रहे हैं. सवाल है कि लोग अपने विचार को किस प्रकार तैयार करते हैं. उनका किसी भी चीजों देखने का नजरिया कैसा होता है. देखा जाये तो फेसबुक विचारों के आदान-प्रदान का बहुत ही सुलभ व बेहतर माध्यम है.

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