कोलकाता. गुरु तो शिष्य का कल्याण चाहते हैं. गुरु पर कभी भी अविश्वास नहीं करना चाहिए. मानव सेवा ट्रस्ट की ओर से आयोजित श्रीराम कथा के चौथे दिन मनीषि कंुडलकृष्ण प्रभु (इस्कॉन) ने मंगलवार को शिव-पार्वती विवाह प्रसंग पर कहा कि नयना ने नारद जी को अपनी बेटी पार्वती के लिए वर ढूंढ़ने की जिम्मेदारी दी थी. नारद जी ने भगवान शिव को पार्वती के लिए चुना. जब शिवजी शादी के लिए पहंुचे तो नयना बरात देख कर रोने लगीं क्योंकि बरात में भूत-प्रेत आदि शामिल थे. भगवान शिव भी वैसे ही वेश में थे. इसी समय अचानक नयना को स्वप्न आया कि यह शिव नहीं साक्षात परमेश्वर हैं. विदाई के समय नयना ने अपनी बेटी पार्वती को पति तथा परिवार के बड़ों की सेवा करने की प्रेरणा दी. कृष्ण प्रभु ने कहा कि शादी से पहले शिव ने पार्वती की परीक्षा ली थी जिसमें पार्वती जी सफल हुईं और दोनों की शादी हुई. कार्यक्रम का संचालन महावीर रावत ने किया तथा कृष्ण कुमार सराफ ने अतिथियों का स्वागत किया.
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गुरु पर विश्वास करना जरूरी : कृष्ण प्रभु
कोलकाता. गुरु तो शिष्य का कल्याण चाहते हैं. गुरु पर कभी भी अविश्वास नहीं करना चाहिए. मानव सेवा ट्रस्ट की ओर से आयोजित श्रीराम कथा के चौथे दिन मनीषि कंुडलकृष्ण प्रभु (इस्कॉन) ने मंगलवार को शिव-पार्वती विवाह प्रसंग पर कहा कि नयना ने नारद जी को अपनी बेटी पार्वती के लिए वर ढूंढ़ने की जिम्मेदारी […]
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