कुंडू की पेशी के दौरान हंगामा
कोलकाता: रोज वैली के निदेशक गौतम कुंडू की पेशी के दौरान अदालत परिसर के बाहर जम कर हंगामा किया गया. इस दौरान मीडियाकर्मियों के साथ मारपीट की गयी और उनके कैमरे तोड़ दिये. कुंडू के समर्थकों के हमले में कई मीडियाकर्मी घायल हो गये. जख्मी मीडियाकर्मियों को इलाज के लिए अस्पताल ले जाया गया. आरोप […]
कोलकाता: रोज वैली के निदेशक गौतम कुंडू की पेशी के दौरान अदालत परिसर के बाहर जम कर हंगामा किया गया. इस दौरान मीडियाकर्मियों के साथ मारपीट की गयी और उनके कैमरे तोड़ दिये. कुंडू के समर्थकों के हमले में कई मीडियाकर्मी घायल हो गये. जख्मी मीडियाकर्मियों को इलाज के लिए अस्पताल ले जाया गया. आरोप है कि जब अदालत परिसर में उत्पात मचाया जा रहा था, उस समय एक भी पुलिसकर्मी को हंगामे को रोकने की कोशिश करते नहीं देखा गया. करीब आधे घंटे के बाद वहां पुलिस हरकत में आयी.
घटना को लेकर घायल पत्रकारों ने हेयर स्ट्रीट थाने में शिकायत दर्ज करायी. पीड़ित लोगों का कहना है कि जैसे ही गौतम कुंडू को अदालत में पेश किया गया, उसी समय अचानक सैकड़ों की संख्या में समर्थक वहां कुछ मीडिया कर्मियों को घेर लिये. इसके बाद उसे जम कर पीटने लगे. पुलिस की मौजूदगी के बावजूद मदद नहीं मिलने के कारण आम लोगों के साथ काफी संख्या में मीडिया कर्मी भी जख्मी हुए. इसके बाद भी समर्थकों का गुस्सा नहीं थमा और वे आसपास में स्टैंड रोड में अवरोध कर दिये. समय-समय पर अवरोध के कारण यातायात व्यवस्था भी काफी बाधित हुई.
पुलिस की भूमिका पर सवाल : घटना को लेकर पुलिस की भूमिका पर सवाल खड़े होने लगे हैं. घायलों का आरोप है कि अब तक प्रभावशाली लोगों को गिरफ्तार करने के बाद अदालत में उनकी पेशी के पहले पुलिस व सुरक्षा का पुख्ता इंतजाम रहता था, जिससे समर्थक वहां हंगामा ना कर सके. लेकिन गुरुवार को रोजवैली के निदेशक गौतम कुंडू की बैंकशाल कोर्ट में पेशी के समय पुलिस की पहरेदारी न के बराबर थी, जबकि गुरुवार दोपहर को कुंडू की पेशी के काफी देर पहले से उनके सैकड़ों समर्थक अदालत परिसर में जुट गये थे. वे समय-समय पर मीडिया कर्मियों को गाली-गलौज कर उन्हें मारने की धमकी भी दे रहे थे. इसके बावजूद पुलिस ने इसे गंभीरता से नहीं लिया.
उचित इंतजाम था : पुलिस : पूरे मामले पर विशेष अतिरिक्त व संयुक्त पुलिस आयुक्त (मुख्यालय) राजीव मिश्र ने बताया कि पुलिस की तरफ से कोर्ट परिसर में पर्याप्त पुलिसकर्मियों की तैनाती की गयी थी. एक असिस्टेंट कमिश्नर के नेतृत्व में 20 पुलिसकर्मियों को अदालत के अंदर व बाहर तैनात रखा गया था. इसके अलावा पूरे मामले पर एक डीसी नजर रखे हुए थे. विवाद की सूचना मिलते ही पुलिस ने कार्रवाई की.