भारत की राष्ट्र-नदी गंगा जल ही नहीं, अपितु भारत और हिंदी साहित्य की मानवीय चेतना को भी प्रवाहित करती रही है. ऋग्वेद, महाभारत, रामायण और अनेक पुराणों में गंगा को पुण्य सलिला, पाप-नाशिनी, मोक्ष प्रदायिनी, सरित्श्रेष्ठा एवं महानदी कहा गया है. गंगा नदी के जल में प्राणवायु (ऑक्सीजन) की मात्र क ो बनाये रखने की असाधारण क्षमता है, किंतु इसका कारण अभी तक अज्ञात है. गंगा की इस असीमित शुद्धीकरण क्षमता और सामाजिक श्रद्धा के बावजूद इसका प्रदूषण रोका नहीं जा सका है.
तो आइये, आज यहां उपस्थित हम सभी लोग राष्ट्र और मानवता के हित में यह शपथ लें कि गंगा की निर्मलता और अविरलता बनाये रखने के लिए हम अपने जीवन र्पयत प्रयास करते रहेंगे. उक्त बातें राज्यपाल केशरीनाथ त्रिपाठी ने प्रभात खबर और गंगा मिशन द्वारा शनिवार को कलामंदिर में आयोजित लाइव गंगा कैंपेन के पुरस्कार वितरण समारोह के दौरान कही. इस अवसर पर राज्यपाल ने विजेताओं को सम्मानित किया. श्री त्रिपाठी ने लाइव गंगा कैंपेन की सराहना करते हुए कहा कि प्रभात खबर ने गंगा की स्वच्छता और निरंतरता के प्रति जागरूकता पैदा करने की मुहिम छेड़ी है. गंगा की स्वच्छता के प्रति जागरूकता पैदा करने के लिए स्कूलों में बच्चों के बीच अभियान चलाया और प्रतियोगिताओं का आयोजन किया. यह एक सराहनीय कदम है. राज्यपाल ने कहा कि राष्ट्रीय समस्याओं के निदान में मीडिया की भागीदारी जरूरी है. उन्होंने उपस्थित लोगों को ‘गंगा वो गंगा तू कितनी निर्मल’ स्वरचित कविता स्वर में गाकर मंत्रमुग्ध कर दिया. (देखें पेज 10 और 11 भी)