मदद के लिए पहुंची केंद्र के द्वार
कोलकाता: आर्थिक तंगी से जूझ रही सरकार एक बार फिर केंद्र के द्वार पहुंची है. राज्य सरकार किस प्रकार की आर्थिक तंगी से जूझ रही है, इसका अंदाजा इससे ही लगाया जा सकता है कि तृणमूल सरकार के पास कर्मचारियों को वेतन व पेंशन देने तक के पैसे नहीं हैं. यही वजह है कि पिछले […]
कोलकाता: आर्थिक तंगी से जूझ रही सरकार एक बार फिर केंद्र के द्वार पहुंची है. राज्य सरकार किस प्रकार की आर्थिक तंगी से जूझ रही है, इसका अंदाजा इससे ही लगाया जा सकता है कि तृणमूल सरकार के पास कर्मचारियों को वेतन व पेंशन देने तक के पैसे नहीं हैं. यही वजह है कि पिछले कुछ महीने से राज्य सरकार हर महीने भारतीय रिजर्व बैंक से कर्ज ले रही है.
राज्य की पिछली वाम मोरचा सरकार ने 34 वर्ष में करीब दो लाख करोड़ रुपये का कर्ज लिया था और वर्तमान सरकार मात्र छह महीने के अंदर 8500 करोड़ रुपये का ऋण ले चुकी है. यहां तक कि जुलाई में तो राज्य सरकार ने कर्ज लेने में भी सारे रिकार्ड तोड़ दिये थे. सिर्फ जुलाई में सरकारी खर्चो का भुगतान करने के लिए राज्य सरकार को तीन बार केंद्र से लोन लेना पड़ा था. अगस्त में राज्य सरकार ने एक बार फिर केंद्र से 1500 करोड़ रुपये का ऋण लेने जा रही है.
गौरतलब है कि फिस्कल रिस्पांसब्लिटी एंड बजट मैनेजमेंट (एफआरबीएम) एक्ट 2013 के अनुसार राज्य सरकार वर्तमान वित्तीय वर्ष में कुल 21 हजार करोड़ रुपये का ऋण ले सकती है, इसमें से करीब 8500 करोड़ रुपये राज्य सरकार ने छह महीने के अंदर ही ले लिये हैं. वित्त विभाग से मिली जानकारी के अनुसार, इस 1500 करोड़ रुपये को सरकारी कर्मचारियों के वेतन व पेंशन के लिए खर्च किया जायेगा. बिना किसी पूर्व नियोजित योजना के राइटर्स बिल्डिंग के स्थानांतरण प्रक्रिया पर भी खर्च किया जायेगा. ज्ञात हो कि राइटर्स बिल्डिंग के स्थानांतरण पर राज्य सरकार द्वारा करीब 300 करोड़ रुपये खर्च किये जायेंगे.