केंद्रीय बल की मंजूरी मिलती तो अच्छा होता

राज्य चुनाव आयुक्त ने कहा राज्य सरकार की ओर से केंद्र से की गयी थी सुरक्षा बल मुहैया कराने की मांग केंद्र सरकार ने उपलब्ध नहीं कराया बल कोलकाता : निकाय चुनाव केंद्रीय सुरक्षा बल के बगैर ही होगा. इस बात की औपचारिक घोषणा राज्य सरकार ने पहले ही कर दी है. इसके बाद विपक्षी […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | April 11, 2015 6:50 AM
राज्य चुनाव आयुक्त ने कहा
राज्य सरकार की ओर से केंद्र से की गयी थी सुरक्षा बल मुहैया कराने की मांग
केंद्र सरकार ने उपलब्ध नहीं कराया बल
कोलकाता : निकाय चुनाव केंद्रीय सुरक्षा बल के बगैर ही होगा. इस बात की औपचारिक घोषणा राज्य सरकार ने पहले ही कर दी है. इसके बाद विपक्षी दल केंद्र व राज्य सरकार के अलावा आयोग की भूमिका को लेकर कई सवाल उठा रहे हैं. इस मसले को लेकर राज्य चुनाव आयुक्त सुशांत रंजन उपाध्याय का कहना है कि यह बात सही है कि निकाय चुनाव में केंद्रीय सुरक्षा बल को मंजूरी मिली होती तो अच्छा होता. असल में केंद्रीय सुरक्षा बल की तैनाती से एक विश्वास कायम रहता है.
निकाय चुनाव में केंद्रीय सुरक्षा बल की तैनाती को लेकर आयोग की ओर से पूरी कोशिश की गयी थी. केंद्रीय सुरक्षा बल की कंपनी नहीं उपलब्ध हो पाने की स्थिति में निकाय चुनाव का जिम्मा अब राज्य के पुलिस प्रशासन पर होगा. हालांकि चुनाव में पर्याप्त सुरक्षा व्यवस्था रहेगी. निकाय चुनाव को लेकर कोलकाता प्रेस क्लब द्वारा शुक्रवार को एक सम्मेलन का आयोजन किया गया था, जिसमें राज्य चुनाव आयुक्त शरीक हुए थे.
केंद्रीय सुरक्षा बल की मांग पर राज्य सरकार द्वारा पूरा जोर नहीं दिये जाने के आरोप पर आयुक्त ने कहा कि निकाय चुनाव के दौरान सुरक्षा व्यवस्था को लेकर 13 मार्च को आयोग ने महत्वपूर्ण बैठक की थी. उसके बाद आयोग ने 19 मार्च को राज्य सरकार से केएमसी चुनाव में 18 अप्रैल को केंद्रीय सुरक्षा बल की करीब 50 कंपनियों और 25 अप्रैल को 91 निकायों में होने वाले चुनाव के लिए लगभग 100 कंपनियों की मांग की गयी थी. राज्य सरकार के गृह विभाग ने चिट्ठी भेज कर इस बारे में आपत्ति नहीं होने की बात की पुष्टि की थी. इस मसले को लेकर राज्य सरकार द्वारा केंद्रीय गृह मंत्रलय को भेजे जाने वाले पत्र की प्रति भी आयोग को भेजी गयी थी.
इधर, केंद्रीय सुरक्षा बल को लेकर केंद्रीय गृह मंत्रलय द्वारा राज्य सरकार को जवाब में भेजी गयी चिट्ठी की एक प्रति भी राज्य चुनाव आयोग को भेजी गयी है. कथित तौर पर उक्त चिट्ठी में केंद्रीय गृह मंत्रलय की ओर से कहा गया है कि कई राज्यों में केंद्रीय सुरक्षा बलों की कंपनी को भेजा जाना है. इसलिए निकाय चुनाव में केंद्रीय सुरक्षा बलों की कंपनी मुहैया कराना संभव नहीं है. केंद्रीय सुरक्षा बल की तैनाती को लेकर फैसला लेने में करीब 15 दिन का समय तो लगता है.
आयुक्त ने कहा कि ऐसे में उन्हें नहीं लगता है कि राज्य सरकार की ओर से देरी हुई है. प्रत्याशियों के नामांकन पत्र वापस लेने के लिए उम्मीदवारों पर दबाव बनाये जाने के आरोप के बारे में आयुक्त ने कहा कि करीब 54 प्रत्याशियों के नामांकन पत्र वापस लेने की बात सामने आयी है. उनके नामांकन पत्र वापस लेने के लिए धमकी मिलना या दबाव बनाने की शिकायत लिखित तौर पर आयोग को नहीं मिली. ऐसे में कैसे कहा जाये कि नामांकन पत्र वापस लेने के लिए दबाव बनाया गया? आयोग को किसी भी शिकायत मिलने पर जांच के बाद कार्रवाई की गयी है.

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