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त्रिपक्षीय समझौते का उल्लंघन कर रहीं 39 मिलें

राज्य के जूट उद्योग में कार्य कर रहे श्रमिकों के वेतन को लेकर त्रिपक्षीय समझौता हुआ था.

टीयूसीसी के राष्ट्रीय महासचिव ने किया दावा

संवाददाता, कोलकाता

राज्य के जूट उद्योग में कार्य कर रहे श्रमिकों के वेतन को लेकर त्रिपक्षीय समझौता हुआ था. लेकिन ट्रेड यूनियन को-ऑर्डिनेशन सेंटर (टीयूसीसी) के राष्ट्रीय महासचिव एसपी तिवारी ने बयान जारी कर बताया है कि राज्य की 39 मिलें वेतन समझौते का उल्लंघन कर रही हैं. उन्होंने कहा है कि राज्य सरकार की रिपोर्ट से पता चलता है कि 23 मिलें गंभीर रूप से और 16 मिलें आंशिक रूप से जूट उद्योग पर तीन जनवरी 2022 को प्रमुख हितधारकों द्वारा हस्ताक्षरित त्रिपक्षीय वेतन समझौते का उल्लंघन कर रही हैं, जो स्पष्ट रूप से उन मिलों द्वारा श्रमिकों का शोषण दर्शाता है, जो उन्हें समझौता वेतन नहीं दे रही हैं. यह हम सभी के लिए चिंता का विषय है.

श्री तिवारी ने कहा है कि इसे लेकर टीयूसीसी से संबद्ध डब्ल्यूबीपीजेडब्ल्यूयू द्वारा दायर रिट याचिका को स्वीकृत किया गया, जिसके परिणामस्वरूप केंद्र सरकार ने आदेश जारी कर जूट पैकेजिंग सामग्री की खरीद की तारीख को बढ़ा कर 31 दिसंबर तक कर दिया गया.

उल्लेखनीय है कि वस्त्र मंत्रालय, भारत सरकार ने अपने 26 दिसंबर 2023 के आदेश में खाद्यान्न में 100 प्रतिशत और चीनी में 20 प्रतिशत खरीद का आश्वासन दिया था, परंतु इसे क्रियान्वित नहीं किया गया. श्री तिवारी ने कहा कि टीयूसीसी का मानना है कि तीन जनवरी 2024 को हस्ताक्षरित समझौते को पश्चिम बंगाल की सभी मिलों में लागू किया जाना चाहिए, इसके साथ ही इएसआइ, इपीएफओ और ग्रेच्युटी भुगतान (अधिनियम 1972) का पालन अनिवार्य रूप से किया जाना चाहिए. केंद्र और पश्चिम बंगाल सरकार व उसकी एजेंसियों को बिना भेदभाव और पक्षपात के समझौते और अन्य प्रावधानों को लागू करना चाहिए.

डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

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