ममता की पेंटिंग्स की कीमत का सच जानने के लिए कोर्ट जायेगी भाजपा
कोलकाता: राज्य भाजपा ने मुख्यमंत्री और तृणमूल सुप्रीमो ममता बनर्जी पर अपनी पेंटिंग्स को लेकर जनता को गलत जानकारी का आरोप लगाते हुए अदालत में याचिका दायर करने का फैसला लिया है. प्रदेश भाजपा अध्यक्ष राहुल सिन्हा ने सोमवार को प्रेस क्लब में एक संवाददाता सम्मेलन में कहा कि भाजपा इंसाफ के लिए अदालत जायेगी. […]
कोलकाता: राज्य भाजपा ने मुख्यमंत्री और तृणमूल सुप्रीमो ममता बनर्जी पर अपनी पेंटिंग्स को लेकर जनता को गलत जानकारी का आरोप लगाते हुए अदालत में याचिका दायर करने का फैसला लिया है. प्रदेश भाजपा अध्यक्ष राहुल सिन्हा ने सोमवार को प्रेस क्लब में एक संवाददाता सम्मेलन में कहा कि भाजपा इंसाफ के लिए अदालत जायेगी.
सिन्हा ने कहा कि यह मामला धोखाधड़ी का होना चाहिए. लेकिन यह कैसे किया जायेगा इसके आयामों पर विचार किया जा रहा है. उन्होंने कहा, ‘अपनी पेंटिंग्स की बिक्री की राशि कभी वह (ममता) नौ करोड़ बताती हैं तो कभी चार करोड़. सीबीआइ को दी गयी जानकारी में इस राशि को कुछ और ही बताया जाता है. यह स्पष्ट हो गया है कि उनकी (ममता) विश्वसनीयता बिल्कुल नहीं रह गयी है. इस संबंध में कानूनविदों से सलाह करके अगला कदम उठाया जायेगा.’
नगर निकाय चुनाव को लेकर राज्य सरकार को घेरा
राज्य भाजपा अध्यक्ष का कहना था कि मुख्यमंत्री अपनी हर बात से पलट जाती हैं. पहले उन्होंने कहा था कि सीबीआइ को तृणमूल के आय-व्यय की जानकारी नहीं दी जायेगी. अगले ही दिन जानकारी दे दी जाती है. उसी तरह पेंटिंग की बिक्री की राशि भी भिन्न बतायी जाती है. वह कहती हैं कि वह अपने ब्रश के तीन स्ट्रोक से 10 लाख रुपये कमा सकती हैं. ऐसा पेंटर तो पृथ्वी पर कहीं नहीं है. श्री सिन्हा ने कहा कि ऐसी पेंटिंग तो संग्रहालय में रखी जानी चाहिए.
निगम चुनाव में केंद्रीय बलों की तैनाती के संबंध में उन्होंने कहा कि भले ही केंद्र ने कहा है कि वह इतने कम समय में केंद्रीय बल नहीं भेज सकता है लेकिन राज्य सरकार केंद्र की चिट्ठी का वह हिस्सा छिपा रही है जिसमें कहा गया है कि वह राज्य में पहले से मौजूद केंद्रीय बलों का इस्तेमाल कर सकती है. सिन्हा के मुताबिक राज्य में करीब 50 केंद्रीय बलों की कंपनियां हैं. यदि राज्य सरकार कहती है कि केंद्रीय बलों की अधिकांश तैनाती माओवादी इलाकों में है और उन्हें चुनाव के काम में लगाने से गड़बड़ी हो सकती है तो उनका यह दावा झूठा है कि जंगल महल और पहाड़ हंस रहे हैं.
चार दिनों के लिए वाहिनी को हटाने पर यदि माओवादियों का आतंक फैल सकता है तो वे वहां किस शांति की बात कह रही हैं. उन्होंने बताया कि गृह मंत्री राजनाथ सिंह से उनकी गत शनिवार को बातचीत हुई है और उन्होंने भरोसा दिया है कि यथासंभव केंद्रीय बल वहां भेजा जायेगा. लेकिन उसकी तैनाती तो फिर भी राज्य सरकार पर निर्भर है. सिन्हा ने कहा कि राज्य चुनाव आयोग के पास कोई अधिकार नहीं है. उसे भी केंद्रीय चुनाव आयोग की तरह अधिकार दी जानी चाहिए. राज्य चुनाव आयोग सब कुछ जानते हुए भी चुप है. मीरा पांडेय की तरह ही मौजूदा राज्य चुनाव आयुक्त ‘रोते’ रहते हैं.
नगर निकाय चुनाव को लेकर राज्य सरकार को घेरा
राज्य भाजपा अध्यक्ष का कहना था कि मुख्यमंत्री अपनी हर बात से पलट जाती हैं. पहले उन्होंने कहा था कि सीबीआइ को तृणमूल के आय-व्यय की जानकारी नहीं दी जायेगी. अगले ही दिन जानकारी दे दी जाती है. उसी तरह पेंटिंग की बिक्री की राशि भी भिन्न बतायी जाती है. वह कहती हैं कि वह अपने ब्रश के तीन स्ट्रोक से 10 लाख रुपये कमा सकती हैं. ऐसा पेंटर तो पृथ्वी पर कहीं नहीं है. श्री सिन्हा ने कहा कि ऐसी पेंटिंग तो संग्रहालय में रखी जानी चाहिए. निगम चुनाव में केंद्रीय बलों की तैनाती के संबंध में उन्होंने कहा कि भले ही केंद्र ने कहा है कि वह इतने कम समय में केंद्रीय बल नहीं भेज सकता है लेकिन राज्य सरकार केंद्र की चिट्ठी का वह हिस्सा छिपा रही है जिसमें कहा गया है कि वह राज्य में पहले से मौजूद केंद्रीय बलों का इस्तेमाल कर सकती है. सिन्हा के मुताबिक राज्य में करीब 50 केंद्रीय बलों की कंपनियां हैं. यदि राज्य सरकार कहती है कि केंद्रीय बलों की अधिकांश तैनाती माओवादी इलाकों में है और उन्हें चुनाव के काम में लगाने से गड़बड़ी हो सकती है तो उनका यह दावा झूठा है कि जंगल महल और पहाड़ हंस रहे हैं.
चार दिनों के लिए वाहिनी को हटाने पर यदि माओवादियों का आतंक फैल सकता है तो वे वहां किस शांति की बात कह रही हैं. उन्होंने बताया कि गृह मंत्री राजनाथ सिंह से उनकी गत शनिवार को बातचीत हुई है और उन्होंने भरोसा दिया है कि यथासंभव केंद्रीय बल वहां भेजा जायेगा. लेकिन उसकी तैनाती तो फिर भी राज्य सरकार पर निर्भर है. सिन्हा ने कहा कि राज्य चुनाव आयोग के पास कोई अधिकार नहीं है. उसे भी केंद्रीय चुनाव आयोग की तरह अधिकार दी जानी चाहिए. राज्य चुनाव आयोग सब कुछ जानते हुए भी चुप है. मीरा पांडेय की तरह ही मौजूदा राज्य चुनाव आयुक्त ‘रोते’ रहते हैं.