हषार्ेल्लास के साथ बांग्ला नव वर्ष का हुआ स्वागत
कोलकाता. बुधवार से बांग्ला नववर्ष 1422 का शुभारंभ हुआ. बांग्ला नववर्ष को आमतौर पर पोयला बैसाख के रूप में जाना जाता है. राज्यवासियों ने पोयला बैसाख का हर्षोल्लास के साथ स्वागत किया. इस अवसर पर कालीघाट व दक्षिणेश्वर स्थित काली मंदिर में सुबह से श्रद्धालुओं की भारी भीड़ देखी गयी. लोगों ने एक-दूसरे का मुंह […]
कोलकाता. बुधवार से बांग्ला नववर्ष 1422 का शुभारंभ हुआ. बांग्ला नववर्ष को आमतौर पर पोयला बैसाख के रूप में जाना जाता है. राज्यवासियों ने पोयला बैसाख का हर्षोल्लास के साथ स्वागत किया. इस अवसर पर कालीघाट व दक्षिणेश्वर स्थित काली मंदिर में सुबह से श्रद्धालुओं की भारी भीड़ देखी गयी. लोगों ने एक-दूसरे का मुंह मीठा कर उन्हें नये साल की शुभकामना दी. बांग्ला नववर्ष 1422 के स्वागत में महानगर के विभिन्न इलाकों में प्रभात फेरी निकाली गयी. रंग-बिरंगे परिधान पहने प्रभात फेरी में शामिल बच्चों ने रवींद्र संगीत की धुनों पर नृत्य भी पेश किया. चूंकि इस दिन से नया वित्तीय वर्ष भी शुरू होता है, इसलिए दुकानदारों व व्यवसायियों ने पुराने खाते बंद कर नये खाते की शुरुआत की, जिसे बंगाल में हालखाता कहते हैं. बंगाली कैलेंडर मुगल बादशाह अकबर ने 1584 में शुरू किया था. बंगालियों ने नये वर्ष का स्वागत नये-नये स्वादिष्ट व्यंजन का जायका लेकर किया. महानगर के अधिकतर रेस्टोरेंटों ने इस दिन अपने मेनू में मशहूर बांग्ला व्यंजन मोचार चॉप, कुमड़ो फूल भाजा, डाब चिंगड़ी एवं मिस्टी दोई शामिल किया था. बंगाल में कोई भी उत्सव स्वादिष्ट व्यंजन एवं मिठाइयों के सेवन के बगैर अधूरा समझा जाता है. फलस्वरूप इस दिन वातावरण में स्वादिष्ट पकवानों व मिठाइयों की महक छायी हुई थी. पोयला बैसाख के इस अवसर पर दुकानदारों ने अपने ग्राहकों का मिठाई के डिब्बे और कैलेंडर के साथ स्वागत किया. वहीं लोगों ने एक-दूसरे को शुभो नवो वरसो कह कर उन्हें बधाई दी. सोशल नेटवर्किंग साइटों पर भी दिन भर लोग एक-दूसरे को नये साल की मुबारकबाद देने में व्यस्त रहे.