पश्चिम बंगाल में 11.69 % गर्भवती महिलाएं डायबिटीज की शिकार
कोलकाता: पश्चिम बंगाल में 11.69 प्रतिशत महिलाएं गेस्टेशनल डायबिटीज यानि गर्भावधि मधुमेह से पीडित है. यह ऐसी स्थिति है जिसमें पहले यह बीमारी सामने नहीं आती लेकिन गर्भावस्था के समय उच्च रक्त शर्करा होता है. हाल में आए एक अध्ययन में इसका खुलासा हुआ है. ‘ग्लोबल जर्नल ऑफ मेडिसीन एंड पब्लिक हेल्थ’ में प्रकाशित अध्ययन […]
कोलकाता: पश्चिम बंगाल में 11.69 प्रतिशत महिलाएं गेस्टेशनल डायबिटीज यानि गर्भावधि मधुमेह से पीडित है. यह ऐसी स्थिति है जिसमें पहले यह बीमारी सामने नहीं आती लेकिन गर्भावस्था के समय उच्च रक्त शर्करा होता है. हाल में आए एक अध्ययन में इसका खुलासा हुआ है.
‘ग्लोबल जर्नल ऑफ मेडिसीन एंड पब्लिक हेल्थ’ में प्रकाशित अध्ययन ‘‘गर्भावधि मधुमेह : ग्रामीण बंगाल की माओं को कितना खतरा है’’ से पता चलता है कि पश्चिम बंगाल में खासकर ग्रामीण इलाकों में 11.69 प्रतिशत महिलाएं गर्भावधि मधुमेह का शिकार होती हैं.
गर्भावधि मधुमेह से जिन माओं का उपचार नहीं होता है ऐसी माओं से जन्मे बच्चों में गर्भधारण के समय :जिससे प्रसव के वक्त जटिलताएं आ सकती है:, निम्न रक्त शर्करा और पीलिया जैसी समस्याओं का खतरा बढ जाता है. अध्ययन के मुताबिक, अगर उपचार नहीं होता है तो इससे मृत नवजातों का भी जन्म हो सकता है.
इसमें कहा गया है कि प्रसव और प्रसव बाद की अवधि में माता और भ्रूण के साथ गर्भावधि मधुमेह मेलिटस (जीडीएम) से पता चलता है कि 20 वर्ष से उपर के उम्र समूह में 32.4 प्रतिशत और 30 वर्ष से ज्यादा उम्र समूह में 41.4 प्रतिशत गर्भावधि मधुमेह का खतरा रहता है.