निगम में नजर आ सकते हैं कई नये चेहरे
कोलकाता : पांच मई से कोलकाता नगर निगम के नवनिर्वाचित पार्षदों का तीन दिवसीय शपथ ग्रहण समारोह शुरू होगा. अंतिम दिन यानी आठ मई को शोभन चटर्जी मेयर के रूप में शपध लेंगे. संभावना है कि श्री चटर्जी उसी दिन अपने मेयर परिषद के सदस्यों के नाम का भी एलान करेंगे. मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के […]
By Prabhat Khabar Digital Desk |
May 4, 2015 6:50 AM
कोलकाता : पांच मई से कोलकाता नगर निगम के नवनिर्वाचित पार्षदों का तीन दिवसीय शपथ ग्रहण समारोह शुरू होगा. अंतिम दिन यानी आठ मई को शोभन चटर्जी मेयर के रूप में शपध लेंगे. संभावना है कि श्री चटर्जी उसी दिन अपने मेयर परिषद के सदस्यों के नाम का भी एलान करेंगे.
मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के दिशा-निर्देश के आधार पर मेयर अपनी नयी टीम तैयार करेंगे. इस काम में वह तृणमूल महासचिव सुब्रत बक्सी, शहरी विकास मंत्री फिरहाद हकीम, पंचायत मंत्री सुब्रत मुखर्जी व युवा मामलों के मंत्री अरूप विश्वास से भी विचार-विमर्श कर रहे हैं.
प्राप्त जानकारी के अनुसार पिछले बोर्ड में मेयर परिषद रहे अतीन घोष, देवाशीष कुमार, देवब्रत मजुमदार, तारक सिंह, शम्शुज्जमां अंसारी व मंजर इकबाल के इस बार भी मेयर परिषद दिखायी देंगे. कुछ नये चेहरे इस बार शोभन चटर्जी की टीम में दिखायी देंगे. अस्वस्थता के कारण चुनाव नहीं लड़नेवाले राजीव देव की कुर्सी चुनाव से पहले कांग्रेस छोड़ तृणमूल में शामिल हुईं माला राय को मिलने की पूरी उम्मीद है. वहीं, मानिक चटर्जी इस बार नये चेयरमैन बन सकते हैं. दमकल मंत्री जावेद अहमद खान के बेटे व 66 नंबर वार्ड के पार्षद फैज खान के भी मेयर परिषद में शामिल होने की अटकलें हैं.
तृणमूल बोर्ड में इस बार महानगर के हिंदी भाषियों का भी प्रतिनिधि नजर आनेवाला है. तृणमूल के पिछले बोर्ड में हिंदी भाषियों का कोई प्रतिनिधि शामिल नहीं था. राज्य मंत्रिमंडल भी कोई प्रतिनिधि नहीं होने के कारण पार्टी व हिंदी भाषियों के बीच दूरी काफी बढ़ी है. मुख्यमंत्री इस दूरी को खत्म करने के लिए 20 नंबर वार्ड से निर्वाचित हुए विजय उपाध्याय को शामिल करनेवाली हैं. कभी मुलायम सिंह व अमर सिंह के बेहद करीबी रहे श्री उपाध्याय के डिप्टी मेयर अथवा किसी महत्वपूर्ण विभाग के मेयर परिषद सदस्य बनने की पूरी संभावना है.
अमर सिंह के कहने पर तृणमूल में शामिल हुए विजय उपाध्याय मुख्यमंत्री के बेहद करीबी हैं. वह न केवल हिंदीभाषी हैं, बल्कि पश्चिम बंगाल के एकमात्र ऐसे राजनेता हैं, जिनका राज्य का अल्पसंख्यक समाज व उर्दू भाषी बेहद सम्मान करता है. अजान व कुरान शरीफ पर मामले के खिलाफ विजय उपाध्याय जिस तरह से अदालत में उठ खड़े हुए थे, वह राज्य का अल्पसंख्यक समुदाय आज तक नहीं भुला है. उर्दू को दूसरी भाषा की हैसियत देने की मांग पर हुए आंदोलन में वह भी शामिल रहे हैं. उनके निगम बोर्ड का हिस्सा बनने से तृणमूल को दोहरा फायदा होगा. उनके द्वारा पार्टी हिंदीभाषी समाज को करीब ला सकती है और अल्पसंख्यक समुदाय व कांग्रेस समर्थक रहे उर्दूभाषियों के बीच तृणमूल की पकड़ और मजबूत होने की संभावना है.