विद्वानों के प्रति सम्मानशील थे सुरेश नवेटिया
स्मृति शेषवरिष्ठ साहित्यकार डॉ कृष्ण बिहारी मिश्रदिवंगत सुरेश नेवटिया श्रीमंत होते हुए विद्या और विद्वानों के प्रति बहुत सम्मानशील व्यक्ति थे. विद्याव्रतियों के किसी प्रस्ताव या आग्रह को वह अपेक्षित गुरुता देते थे और जटिल से जटिल समस्या को अपनी प्रतिभा और सदाशयता से सुलझाते थे. मेरे प्रति उनके हृदय में बहुत ऊंचा भाव था. […]
स्मृति शेषवरिष्ठ साहित्यकार डॉ कृष्ण बिहारी मिश्रदिवंगत सुरेश नेवटिया श्रीमंत होते हुए विद्या और विद्वानों के प्रति बहुत सम्मानशील व्यक्ति थे. विद्याव्रतियों के किसी प्रस्ताव या आग्रह को वह अपेक्षित गुरुता देते थे और जटिल से जटिल समस्या को अपनी प्रतिभा और सदाशयता से सुलझाते थे. मेरे प्रति उनके हृदय में बहुत ऊंचा भाव था. यद्यपि हमारी उनसे मुलाकात कुछ ही दिनों पहले हुई थी. विद्या संस्थान की जटिल समस्या को लेकर, जिस संस्थान के वह ट्रस्टी थे, मैंने बात की थी और बात की बात में अपने कार्यालय में बैठकर समाधान निकाला था, जो विवेकपूर्ण और सहज औदार्य पर आधारित था. उनकी उस भूमिका को मेरे मित्र दिवंगत अशोक सेकसरिया ना कभी भूल पायें और न ही मैं जीवन भर भूल पाऊंगा. उनकी बीमारी सुनकर उनसे मिलने के लिए व्याकुल हुआ, बात की, तब वे यात्रा में थे. ट्रेन से ही उन्होंने अपनी कठिनाई बताया और कहा था कि कोलकाता आने पर आपसे मिलने आऊंगा, लेकिन वह घड़ी नहीं आयी. 20-25 दिन पहले उनकी आत्मीय, मेरे आदरणीय मित्र विद्यासागर गुप्त से आग्रह किया कि श्री नेवटिया जी के पास एक दिन चलूंगा. उन्होंने आश्वासन भी दिया था कि बातचीत कर ले चलूंगा. आज एकाएक यह जानकर धक्का लगा कि आज स्वार्थ सजग समाज में एक उदारमना देश का शीर्षस्थ श्रीमंत जो बहुतों के जीवन का संबल था, संसार से चला गया. परमात्मा उनकी आत्मा को शांति दें.