न्यूज इन नंबर्स : नहीं थम रहे बच्चों को आत्महत्या के लिए उकसाये जाने के मामले
प्रति वर्ष बच्चों के आत्महत्या के मामले होते हैं. लेकिन आत्महत्या के कुछ ऐसे भी मामले सामने आये हैं जिनमें बच्चों को आत्महत्या के लिए उकसाया या बहकाया गया हो. इस तरह के मामलों में आरोपियों के खिलाफ भारतीय दंड विधान की धारा 305 के तहत मामले दर्ज किये जाते हैं. एनसीआरबी की रिपोर्ट के […]
प्रति वर्ष बच्चों के आत्महत्या के मामले होते हैं. लेकिन आत्महत्या के कुछ ऐसे भी मामले सामने आये हैं जिनमें बच्चों को आत्महत्या के लिए उकसाया या बहकाया गया हो. इस तरह के मामलों में आरोपियों के खिलाफ भारतीय दंड विधान की धारा 305 के तहत मामले दर्ज किये जाते हैं. एनसीआरबी की रिपोर्ट के मुताबिक देश के करीब छह-सात राज्यों में ऐसे मामले ज्यादा दर्ज किये जाते हैं. इनमें आंध्र प्रदेश, छत्तीशगढ़, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश और बंगाल पर होने वाले हजारों आपराधिक मामले दर्ज किये जाते हैं. रिपोर्ट पर गौर करें, तो वर्ष 2009 से 2013 तक यानी पांच वर्षों में देश में बच्चों को आत्महत्या के लिए उकसाये या बहकाये जाने के करीब 522 मामले दर्ज किये गये जबकि इस अंतराल में बंगाल में ऐसे करीब 18 मामले और उत्तर प्रदेश में करीब 98 मामले दर्ज किये गये.देश में बच्चों को आत्महत्या के लिए उकसाने के मामले :वर्ष मामले20132152012144201161201056200946बंगाल में बच्चों को आत्महत्या के लिए उकसाने के मामले :वर्ष संख्या2013052012072011032010032009शून्यउत्तर प्रदेश में बच्चों को आत्महत्या के लिए उकसाने के मामले :वर्ष संख्या2013362012572011052010शू्न्य2009शून्य