उन्होंने आरोप लगाया कि विगत शुक्रवार की रात कुछ तृणमूल कार्यकर्ताओं द्वारा नारकेलडांगा थाना इलाका के एनके रोड स्थित 36 नंबर वार्ड की पूर्व वाम पार्षद मौसमी घोष के कार्यालय पर जबरन कब्जा किया गया. इस मसले को लेकर रात से ही एटक समर्थित परिवहन संगठनों का विरोध शुरू हो गया. इधर घटना की सूचना मिलते ही मौके पर स्थानीय पुलिस पहुंची और बाद में स्थिति नियंत्रित हो पायी. हालांकि स्थानीय तृणमूल नेताओं ने जबरन कार्यालय पर दखल की बात से इनकार किया है.
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अधिकारों के हनन पर होगा व्यापक आंदोलन : श्रीवास्तव
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कोलकाता. पूरे राज्य में अराजकता का माहौल है. विपक्षी दलों पर लगातार हमले किये जा रहे हैं. यदि जनता के लोकतांत्रिक अधिकारों का हनन किया जायेगा तो व्यापक रूप से आंदोलन किया जायेगा. यह चेतावनी प्रदेश एटक के सचिव व कोलकाता टैक्सी ऑपरेटर्स यूनियन के महासचिव नवल किशोर श्रीवास्तव ने शनिवार को दी. उन्होंने आरोप […]

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कोलकाता. पूरे राज्य में अराजकता का माहौल है. विपक्षी दलों पर लगातार हमले किये जा रहे हैं. यदि जनता के लोकतांत्रिक अधिकारों का हनन किया जायेगा तो व्यापक रूप से आंदोलन किया जायेगा. यह चेतावनी प्रदेश एटक के सचिव व कोलकाता टैक्सी ऑपरेटर्स यूनियन के महासचिव नवल किशोर श्रीवास्तव ने शनिवार को दी.
विपक्षी दलों पर हमला निंदनीय
एटक समर्थित परिवहन संगठनों के विरोध के कारण श्रीवास्तव ने आरोप लगाया कि वामपंथी संगठनों और कार्यकर्ताओं को निशाना बनाया जा रहा है. दो अप्रैल की मध्यरात्रि को बेलियाघाटा मेटाडोर स्टैंड पर स्थित एटक समर्थित कोलकाता मेटाडोर-मिनीडोर ऑपरेटर्स यूनियन के कार्यालय में तोड़फोड़ की गयी. इस हमले के खिलाफ सियालदह स्थित बिग बाजार के निकट से विरोध जुलूस जुलूस निकाले जाने के साथ इंटाली थाना के समक्ष प्रदर्शन किया गया था. राज्य में केवल वामपंथी ही नहीं बल्कि किसी भी विपक्षी दल के कार्यालय पर जबरन कब्जा करना व कार्यकर्ताओं तथा नेताओं पर हमले को बरदाश्त नहीं किया जायेगा. ऐसी घटना बहुत ही निंदनीय हैं. ऐसी घटनाओं के विरोध में एटक समर्थित परिवहन संगठनों द्वारा व्यापक आंदोलन की चेतावनी दी गयी.
वामपंथी नहीं हुए कमजोर
प्रदेश एटक के नेता नवल किशोर श्रीवास्तव ने आरोप लगाया कि निकाय चुनाव में सत्तारूढ़ दल द्वारा रिगिंग व बूथ कैप्चर किये गये. वामपंथी उम्मीदवारों को विजयी नहीं होने देने के लिए गैर लोकतांत्रिक हथकंडे अपनाये गये. लेकिन विगत 30 अप्रैल को इसके विरोध में वाम मोरचा द्वारा आहूत 12 घंटे हड़ताल की सफलता से यह बात तो साबित हो गयी है कि लोग मौजूदा तृणमूल सरकार के रवैये से संतुष्ट नहीं हैं. राज्य में वामपंथी कमजोर नहीं हुए हैं. लोकतांत्रिक अधिकार पर हमला होने पर भारी विरोध का सामना करना पड़ेगा.
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