अदालत ने निर्देश दिया कि समिति पहले संपत्तियों का मूल्यांकन करे और फिर इसकी रिजर्व कीमत तय कर हाइकोर्ट को इसकी जानकारी दे. हाइकोर्ट द्वारा अनुमति दिये जाने के बाद इनकी सार्वजनिक नीलामी की जायेगी. बिक्री में मिलने वाली राशि को समिति द्वारा खोले जाने वाले बैंक खाते में रखा जाएगा. यह पूरी प्रक्रिया अदालत की निगरानी में होगी.
अदालत ने समिति को 14 अगस्त तक रिपोर्ट सौंपने का भी निर्देश दिया है. इसके बाद अदालत बतायेगी कि निवेशकों को किस प्रकार पैसे लौटाये जायें. रोज वैली के वकील किशोर दत्त व वकील अरूप भट्टाचार्य ने बताया कि गत वर्ष जून महीने में सेबी ने रोज वैली की योजना को कलेक्टिव इनवेस्टमेंट स्कीम का दर्जा देते हुए कहा था कि इसकी संपत्ति को बेचा नहीं जा सकता. तब राज्य सरकार ने संपत्ति की बिक्री पर पाबंदी लगा दी थी.
संपत्ति नहीं बिक्री करने के फैसले को चुनौती देते हुए रोज वैली ने सिक्यूरिटी एडमिनिस्ट्रेशन ट्राइब्यूनल में याचिका दायर की. गत वर्ष 15 दिसंबर को ट्राइब्यूनल ने संपत्ति बिक्री की सहमति दे दी थी. इसके बाद रोज वैली ने राज्य सरकार द्वारा बिक्री पर लगायी गई पाबंदी को हटाने के लिए हाइकोर्ट में मामला दायर किया. राज्य सरकार की ओर से एडिशनल एडवोकेट जनरल लक्खी गुप्ता ने कहा कि यदि हाइकोर्ट की निगरानी में संपत्ति की बिक्री होती है तो उन्हें कोई आपत्ति नहीं है. इसके बाद ही अदालत ने संपत्ति की बिक्री के लिए समिति बनाने का निर्देश दिया.