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सिलीगुड़ी हिंदी हाइस्कूल के विद्यार्थियों का फूटा गुस्सा

सिलीगुड़ी. सिलीगुड़ी हिंदी हाइस्कूल में बीते पांच महीनों से चल रहे गतिरोध की वजह से सोमवार को विद्यार्थियों का गुस्सा फूट पड़ा. पुलिस प्रशासन द्वारा अचानक स्कूल कैंपस में 144 धारा लगा दिये जाने के बावजूद विद्यार्थियों ने भूख हड़ताल की. सुबह आठ बजे ही 10वीं कक्षा के विद्यार्थी रजत गुप्ता, सुजीत ठाकुर, प्रदीप प्रसाद, […]

सिलीगुड़ी. सिलीगुड़ी हिंदी हाइस्कूल में बीते पांच महीनों से चल रहे गतिरोध की वजह से सोमवार को विद्यार्थियों का गुस्सा फूट पड़ा. पुलिस प्रशासन द्वारा अचानक स्कूल कैंपस में 144 धारा लगा दिये जाने के बावजूद विद्यार्थियों ने भूख हड़ताल की.

सुबह आठ बजे ही 10वीं कक्षा के विद्यार्थी रजत गुप्ता, सुजीत ठाकुर, प्रदीप प्रसाद, पिंटू राय, 12वीं का नवीन ठाकुर, अमन राय, अमन राव, मो जिनैद व विवेक साह कुल नौ विद्यार्थी स्कूल के प्रशासनिक भवन के बरामदे पर भूख हड़ताल पर बैठ गये. पुलिस प्रशासन के ओर से सबसे पहले सिलीगुड़ी थाना के ओसी पीके वर्मन करीब 10 बजे स्कूल पहुंच कर विद्यार्थियों से हड़ताल वापस लेने की विनती की, लेकिन प्रदर्शनकारी विद्यार्थियों ने ओसी की एक बात नहीं सुनी. बाद में करीब 11.30 बजे सिलीगुड़ी थाना के इंस्पेक्टर अचिंत गुप्ता दल-बल व एम्बुलेंस के साथ स्कूल पहुंचे और उन्होंने भी विद्यार्थियों से प्रदर्शन हटाने का अनुनय विनय किया. बाद में महकमा पदाधिकारी (एसडीओ) के निर्देश पर डिप्टी मजिस्ट्रेट प्रदीप दास भी 11.40 बजे स्कूल पहुंचे. उन्होंने स्कूल खुलवाने एवं सभी समस्याओं को दूर करने हेतु विद्यार्थियों से सात से 10 दिन का समय मांगा और भूख हड़ताल खत्म करने की अपील की. श्री दास ने प्रदर्शनकारियों से यह भी क ह डाला कि अगर हफ्ता-10 दिन में स्कूल खोलने पर फैसला नहीं होता है तो आप लोग 11वें दिन से एसडीओ दफ्तर के सामने भूख हड़ताल पर बैठ जायें.

लेकिन प्रदर्शनकारी विद्यार्थियों ने तो पुलिस प्रशासन और न ही डिप्टी मजिस्ट्रेट की एक भी बात सुनी. विद्यार्थी अपनी बातों पर ही अड़े रहे, कहा- जिस दिन स्कूल खुलेगा, उसी दिन हम खुद-ब-खुद यहां से हट जायेंगे. इस दौरान विद्यार्थियों ने उल्टे प्रशासन के प्रतिनिधियों पर ही कई सवाल दाग दिये. एक भी सवालों का जवाब न तो इंस्पेक्टर अचिंत दास के पास था और न ही मजिस्ट्रेट प्रदीप दास के पास. प्रदर्शनकारियों का सवाल था कि दो जनवरी से स्कूल बंद है. न तो विद्यार्थियों का दाखिला हो रहा है और न ही पढ़ाई. स्कूल प्रबंधन कमेटी की मनमानी की लिखित शिकायत हमने कई बार मंत्री, डीएम, एसडीओ, स्कूल जिला इंस्पेक्टर (डीआइ), सिलीगुड़ी थाना के अलावा अन्य संबंधित विभागों व अधिकारिओं से की. लेकिन आप लोगों से आश्वासन के बावजूद कुछ नहीं हुआ. पांच महीने से स्कूल के हजारों विद्यार्थियों के भविष्य से खिलवाड़ हो रहा है. पांच महीने से कहां थे आप लोग. हम लोग तो गरीब घर के बच्चे हैं, ऐसा ही आप के बच्चों के साथ होता तब आप लोग क्या करते. पांच महीने से स्कूल बंद पड़ा है और शिक्षा पूरी तरह ठप है इसके बावजूद आज स्कूल में 144 धारा क्यों लगाया गया.

हम लोग क्या स्कूल में तोड़-फोड़, दंगा फसाद करने वाले हैं. हमारे शांतिपूर्वक भूख हड़ताल से स्कूल के शिक्षा का माहौल भी खराब नहीं होने वाला, वजह स्कूल ही बंद पड़ा है. छह अप्रैल से शिक्षक व स्कूल कर्मचारी अपने विभिन्न मांगों को लेकर स्कूल कैंपस में पेन डाउन आंदोलन व लगातार धरना प्रदर्शन कर रहे हैं. शिक्षकों के आंदोलन के विरुद्ध स्कूल में निषेधाज्ञा क्यों नहीं लगायी गयी. एक भी सवाल का जवाब प्रशासन के प्रतिनिधि नहीं दे पाये. प्रदर्शनकारियों के हौसले के सामने प्रशासन पूरी तरह पस्त हो गया. इस बीच स्कूल के शिक्षकों, 25 नंबर वार्ड की पार्षद सीमा साहा, समाजसेवी जयंत साहा, पांच नंबर वार्ड के पूर्व पार्षद अमरनाथ सिंह, युवा नेता महानंदा मंडल द्वारा भी विद्यार्थियों को मनाने की कोशिश नाकाम साबित हुई. बाध्य होकर सिलीगुड़ी थाना की पुलिस ने 12.15 बजे कड़ा रुख अपनाया और प्रदर्शनकारियों को जबरन हटाया. इस दौरान पुलिस व प्रदर्शनकारियों के बीच खुब खींचातानी भी हुई.

कब क्या हुआ
12.25 बजे सात विद्यार्थियों को पुलिस ने एक ही एंबुलेंस में भेड़-बकरी (मवेशियों) की तरह ठूंसा. दो अन्य को अलग-अलग पुलिस के वाहनों में बैठाकर मेडिकल जांच हेतु सिलीगुड़ी सदर अस्पताल ले जाया गया. अस्पताल के लिए एंबुलेंस जैसे ही स्कू ल कैंपस से रवाना हुई और मुख्य गेट से बाहर हुई तभी 12.30 बजे एंबुलेंस से सभी विद्यार्थी बाहर कूद पड़े और नारेबाजी करते हुए वापस स्कूल कैं पस में आ गये.
डालमिया हटाओ की नारेबाजी
इस दौरान विद्यार्थी काफी उग्र हो उठे और स्कूल प्रबंधन कमेटी, पुलिस प्रशासन व राज्य सरकार के खिलाफ नाराबाजी भी की. ‘डालमिया हटाओ, स्कूल बचाओ, अब नहीं चलेगी डालमिया की मनमानी’ नारे खुब लगाये गये. पुलिस ने वापस सभी को जबरन उठाया. मेडिकल जांच के बाद सभी प्रदर्शनकारी विद्यार्थियों को निजी मुचलके पर थाने से ही छोड़ दिया गया. इस दौरान विद्यार्थियों ने स्कूल खोलने के लिए 10 दिन का समय दिया और नहीं खुलने पर 11वें दिन से वापस स्कूल में भूख हड़ताल की चेतावनी दी.

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