भूमि अधिग्रहण अध्यादेश को लेकर केंद्र की आलोचना

कोलकाता. विवादास्पद भूमि अधिग्रहण अध्यादेश एक बार फिर जारी करने को लेकर वामपंथी दलों ने भाजपा नीत केंद्र सरकार की जम कर निंदा की है. वाम दलों का आरोप है कि ऐसा किये जाने से यह अंदाजा लगाया जा सकता है कि संसद के प्रति भाजपा सरकार ईमानदार नहीं है. इसकी वजह यह है कि […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | June 1, 2015 7:00 AM
कोलकाता. विवादास्पद भूमि अधिग्रहण अध्यादेश एक बार फिर जारी करने को लेकर वामपंथी दलों ने भाजपा नीत केंद्र सरकार की जम कर निंदा की है. वाम दलों का आरोप है कि ऐसा किये जाने से यह अंदाजा लगाया जा सकता है कि संसद के प्रति भाजपा सरकार ईमानदार नहीं है.

इसकी वजह यह है कि इस विधेयक के प्रावधानों पर गौर करने वाली संयुक्त संसदीय समिति द्वारा रिपोर्ट सौंपी नहीं गयी थी, ऐसे में अध्यादेश दोबारा जारी कर दिया गया. माकपा नेता रॉबिन देव ने आरोप लगाया है कि ऐसा इसलिए किया जा रहा है क्योंकि केंद्र सरकार को बस कार्पोरेट जगत के हितों की चिंता है. किसानों के लिए भूमि अधिग्रहण अध्यादेश हितकर नहीं है और इससे किसानों का अधिकार छीन जायेगा.

भाकपा नेताओं का कहना है कि भूमि अधिग्रहण अध्यादेश दोबारा जारी करने के पहले कथित तौर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा कहा गया था कि यह उनके लिए जीवन-मरण का प्रश्न नहीं है. यदि ऐसा ही था तो अध्यादेश दोबारा क्यों जारी की गयी? केंद्र सरकार का यह कदम संसद के प्रति उनकी ईमानदारी और सच्चई के प्रति प्रश्न चिह्न लगा रही है. आरोप के मुताबिक सत्ता में आने से पहले भाजपा नीत केंद्र सरकार ने लंबे-चौड़े वायदे किये थे लेकिन सत्ता में आते ही उनका असली चेहरा सामने आ गया है. किसान और श्रमिक वर्ग के लोगों पर संकट जैसे गहराता जा रहा है. ध्यान रहे कि वामपंथी दलों ने संसद की संयुक्त समिति की रिपोर्ट सौंपे जाने तक अध्यादेश को स्थगित रखने की मांग की है. समिति में माकपा की ओर से मोहम्मद सलीम जबकि तृणमूल कांग्रेस की ओर से कल्याण बनर्जी भी शामिल हैं.

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