कोलकाता : अपने देश के चरमपंथियों की ओर से मौत की धमकियां मिलने के बाद अमेरिका जा चुकी विवादास्पद बांग्लादेशी लेखिकातसलीमानसरीन ने आज कहा कि उन्होंने भारत को स्थायी तौर पर नहीं छोडा है और जब उन्हें सुरक्षित महसूस होगा, वह लौट आएंगी.
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असुरक्षित तसलीमा नसरीन ने अमेरिका को बनाया अपना फौरी ठिकाना, पर भारत प्रेम कायम, लौटेंगी भी
कोलकाता : अपने देश के चरमपंथियों की ओर से मौत की धमकियां मिलने के बाद अमेरिका जा चुकी विवादास्पद बांग्लादेशी लेखिकातसलीमानसरीन ने आज कहा कि उन्होंने भारत को स्थायी तौर पर नहीं छोडा है और जब उन्हें सुरक्षित महसूस होगा, वह लौट आएंगी. नसरीन ने ट्वीट किया, ‘‘बांग्लादेश में नास्तिक ब्लॉग लेखकों की हत्या करने […]
नसरीन ने ट्वीट किया, ‘‘बांग्लादेश में नास्तिक ब्लॉग लेखकों की हत्या करने वाले इस्लामी चरमपंथियों से धमकी मिली. चिंता थी. भारत सरकार से मिलना चाहती थी. अपॉइंटमेंट नहीं था. भारत से निकल आई. जब भी सुरक्षित महसूस करुंगी वापस आउंगी.’’ न्यू यार्क के एक अधिकार समूह सेंटर फॉर इन्क्वायरी ने कल कहा कि उन्होंने चरमपंथियों द्वारा तस्लीमा को धमकियां मिलने के बाद उन्हें भारत से यहां आकर रहने में मदद की. ये चरमपंथी फरवरी से अब तक बांग्लादेश में तीन धर्मनिरपेक्ष ब्लॉगरों की हत्या के लिए जिम्मेदार हैं.
तसलीमा ने एक अन्य ट्वीट में कहा, ‘‘मैं अक्सर अमेरिका जाती हूं. व्याख्यान देने के लिए और अपने परिवार से मिलने के लिए. मैंने भारत को स्थायी तौर पर नहीं छोडा है. भारत सरकार हमेशा सुरक्षा उपलब्ध करवाती है.’’ तसलीमा की लज्जा और ‘द्विखंडितो’ नामक किताबें चरमपंथियों की नाराजगी का कारण बन चुकी हैं. मुस्लिम चरमपंथियों की ओर से मिलने वाली मौत की धमकियों के चलते 52 वर्षीय लेखिका वर्ष 1994 से निर्वासित जीवन जी रही हैं.
लंबे समय तक यूरोप में रहने के बाद तस्लीमा ने वर्ष 2004 में भारत में शरण ली. वह कोलकाता में रहीं और इसे अपना घर कहती रहीं. वर्ष 2007 में मुस्लिम समुदाय के कुछ लोगों द्वारा उनकी कृतियों के खिलाफ हिंसक प्रदर्शन के चलते उन्हें यहां से जाना पडा.
लगभग सात माह के लिए वह नयी दिल्ली में एक अज्ञात स्थान पर रहीं और फिर स्वीडन चली गईं. स्वीडन ने उन्हें नागरिकता दे दी थी. फिर वह दिल्ली लौटीं और उन्हें लगातार भारतीय वीजा मिलता रहा है. आज के अपने ट्वीटों में तसलीमा ने कहा, ‘‘पालतू बिल्ली इंतजार कर रही है’’.
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