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चीफ जस्टिस ने राज्य में निवेश की सुरक्षा को लेकर किया सवाल

कोलकाता: कलकत्ता हाइकोर्ट की मुख्य न्यायाधीश मंजुला चेल्लुर ने राज्य में निवेश की स्थिति पर सवाल उठाया है. हाइकोर्ट में एमपीएस के मामले की सुनवाई करते हुए उन्होंने यह प्रश्न किया. उल्लेखनीय है कि मंगलवार को मामले की सुनवाई के दौरान निवेशकों का पैसा लौटाने के लिए एमपीएस द्वारा समय-सीमा बढ़ाये जाने के आवेदन पर […]

कोलकाता: कलकत्ता हाइकोर्ट की मुख्य न्यायाधीश मंजुला चेल्लुर ने राज्य में निवेश की स्थिति पर सवाल उठाया है. हाइकोर्ट में एमपीएस के मामले की सुनवाई करते हुए उन्होंने यह प्रश्न किया. उल्लेखनीय है कि मंगलवार को मामले की सुनवाई के दौरान निवेशकों का पैसा लौटाने के लिए एमपीएस द्वारा समय-सीमा बढ़ाये जाने के आवेदन पर मुख्य न्यायाधीश मंजुला चेल्लुर व न्यायाधीश जयमाल्य बागची की खंडपीठ ने यह सवाल उठाया.
एमपीएस ने छह माह का समय मांगा
एमपीएस की ओर से वकील किशोर दत्त व वकील दिलीप चक्रवर्ती ने हाइकोर्ट से आवेदन किया कि कंपनी को छह महीने का समय दिया जाये. ऐसा हुआ तो कंपनी तीन चरणों में निवेशकों के पैसे लौटा पायेगी. उनका कहना था कि एमपीएस के पास 2,900 करोड़ रुपये की संपत्ति है, जबकि 1786 करोड़ रुपये निवेशकों को लौटाने हैं. हालांकि सेबी का कहना था कि निवेशकों के 1,520 करोड़ रुपये लौटाने हैं. मामले की सुनवाई के दौरान एमपीएस की ओर से प्रस्ताव दिया गया कि अदालत उन्हें बाहर से निवेशक को उनकी कंपनी में निवेश की क्या इजाजत दे सकती है, यदि कोई निवेशक निवेश करना चाहे.
इस पर मुख्य न्यायाधीश ने प्रश्न किया कि क्या यहां निवेश का माहौल है? वह कर्नाटक और केरल जैसे राज्यों के उद्योगपतियों की मानसिकता को समझती हैं. वे पश्चिम बंगाल में कभी नहीं आयेंगे. उन्होंने देखा है कि तेलंगाना में मुख्यमंत्री कार्यालय भी सीधे उद्योगपतियों से बातचीत करता है. लिहाजा उनके इस आवेदन को मंजूर नहीं किया जा सकता.
इधर, एमपीएस ने अदालत को सूचित किया कि अदालत की इजाजत के मुताबिक झाड़ग्राम के उनके चार गोदामों में रखे माल को बेच कर 1.75 करोड़ रुपये हासिल किये गये हैं. इसका 90 फीसदी हिस्सा निर्देशानुसार अदालत में जमा कराया जा चुका है.
निवेशकों के वकील ने प्रस्ताव ठुकराया
एमपीएस के निवेशकों की ओर से वकील अरिंदम दास ने स्पष्ट किया कि वह एमपीएस द्वारा निवेशकों को छह महीने के भीतर व तीन चरणों में पैसे लौटाये जाने के प्रस्ताव को स्वीकार नहीं करेंगे. मामले की अगली सुनवाई 30 जून को होगी.
एमपीएस मामले की हो रही थी सुनवाई
गौरतलब है कि गत 30 मार्च को न्यायाधीश सौमित्र पाल की अदालत ने एमपीएस के सभी कार्यालयों को बंद करने और निवेशकों का पैसा लौटाने का निर्देश दिया था. सिंगल बेंच के फैसले को चुनौती देते हुए एमपीएस ने खंडपीठ में याचिका दायर की थी. लेकिन खंडपीठ ने भी सिंगल बेंच के फैसले पर स्थगनादेश नहीं दिया और निवेशकों का पैसा वापस करने के लिए कहा है.
इडी व सीबीआइ की भूमिका पर भी सवाल
इधर, मुख्य न्यायाधीश की खंडपीठ ने मामले की जांच के संबंध में प्रवर्तन निदेशालय व सीबीआइ की भूमिका पर भी सवाल उठाया. अदालत का कहना था कि कोर्ट ने जांच में कोई स्थगनादेश नहीं दिया है. ऐसे में जांच कार्य आगे क्यों नहीं बढ़ रही है. उन्होंने सीबीआइ व प्रवर्तन निदेशालय से जांच संबंधी रिपोर्ट तलब की है.

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