बानतला लेदर कांप्लेक्स का भविष्य अधर में

कोलकाता : बानतला लेदर कंप्लेक्स का भविष्य अंधेरे में लटक गया है, क्योंकि राज्य सरकार व निर्माण संस्था मेसर्स एमएल डालमिया एंड कंपनी लिमिटेड के रवैये से नाराज इस लेदर कंप्लेक्स के 350 टेनरी मालिकों ने अपना कारखाना बंद करने की चेतावनी दी है. गुरुवार को प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की एक टीम यहां से निकलनेवाले […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | July 3, 2015 6:47 AM
कोलकाता : बानतला लेदर कंप्लेक्स का भविष्य अंधेरे में लटक गया है, क्योंकि राज्य सरकार व निर्माण संस्था मेसर्स एमएल डालमिया एंड कंपनी लिमिटेड के रवैये से नाराज इस लेदर कंप्लेक्स के 350 टेनरी मालिकों ने अपना कारखाना बंद करने की चेतावनी दी है. गुरुवार को प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की एक टीम यहां से निकलनेवाले पानी में प्रदूषण की मात्र जांच करने पहुंची थी. साथ में लेदर कंप्लेक्स की निर्माणसंस्था मेसर्स एमएल डालमिया एंड कंपनी लिमिटेड के अधिकारी भी थे, लेकिन वे बैठक खत्म होने से पहले ही निकल गये.
टेनरी मालिकों के संगठन कलकत्ता लेदर कंप्लेक्स टेनर्स एसोसिएशन के महासचिव इमरान अहमद खान ने कहा कि कलकत्ता हाइकोर्ट के निर्देश के बाद 1997 से जब से हम लोग यहां आये हैं, हमें तरह-तरह के बहाने तंग किया जा रहा है. राज्य सरकार व मेसर्स एमएल डालमिया एंड कंपनी लिमिटेड ने लेदर कंप्लेक्स के आगे एक आइटी हब बना दिया है, जहां से निकलनेवाले गंदे पानी के हम लोग जिम्मेदार नहीं हैं. पर बदनामी हमारी ही होती है.
अदालत के हुक्म पर हमें मिले ऋण पर सूद नहीं लेने की बात थी, पर अब सूद देने के लिए दबाव डाला जा रहा है. सरकार व कंपनी ने हमसे जो सुविधाएं देने का वायदा किया था, उनमें से एक को भी पूरा नहीं कर रही है. वादे के अनुसार लेदर कंप्लेक्स में स्कूल, अस्पताल, पार्क, सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट यूनिट, स्टाफ क्र्वाटर आदि बनाना था, पर कुछ भी नहीं किया गया. ट्रीटमेंट प्लांट की क्षमता कम होने के कारण तैयार होने के बावजूद 125 टेनरियों को चालू करने की मंजूरी नहीं मिल रही है. उन्होंने कहा कि टेनरी मालिकों से रकम लिये जाने के बावजूद 150 से अधिक टेनरी मालिकों को जगह तक नहीं दी गयी.
वहीं, संगठन के अध्यक्ष रमेश कुमार तनेजा ने कहा कि अब बहुत हो चुका. अब मामला बर्दाश्त के बाहर हो चुका है. हम लोग अपना कारखाना बंद करने व सरकार की जमीन लौटाने के लिए तैयार हैं. हमें हमारा पैसा दे दिया जाये और जो यहां लगभग एक लाख श्रमिक काम कर रहे हैं, उनके रोजगार की व्यवस्था भी सरकार कर ले. हम यहां से अपना कारोबार समेटने के लिए तैयार हैं.

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