पसीने की कमाई से होते हैं पुण्य कर्म: पौराणिक महाराज

(फोटो ) कोलकाता. गोपी जीवात्मा है और श्रीकृष्ण परमात्मा. महारासलीला जीवत्मा और परमात्मा की मिलन लीला है. गोपियों के आग्रह पर श्रीकृष्ण महारास रचाते हैं. महारास के दौरान गोपियों के मन में अहंकार आता है तो श्रीकृष्ण महारास से गायब हो जाते हैं. गोपियां साक्षात भक्ति स्वरूपा हैं. भक्ति में भी अगर अहंकार आये तो […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | July 4, 2015 8:06 PM

(फोटो ) कोलकाता. गोपी जीवात्मा है और श्रीकृष्ण परमात्मा. महारासलीला जीवत्मा और परमात्मा की मिलन लीला है. गोपियों के आग्रह पर श्रीकृष्ण महारास रचाते हैं. महारास के दौरान गोपियों के मन में अहंकार आता है तो श्रीकृष्ण महारास से गायब हो जाते हैं. गोपियां साक्षात भक्ति स्वरूपा हैं. भक्ति में भी अगर अहंकार आये तो भगवान उससे दूर हो जाते हैं. जैसे ही श्रीकृष्ण महारास से अंतर्ध्यान हुए और गोपियों को जब पता चला तो उन्हें अपनी भूल का अहसास हुआ. तब वह फूट-फूट के रोने लगी और कृष्ण को पुकारने लगी. गोपियों की पुकार सुनकर वह पुन: महारास में प्रकट हुए. ये बातें नटराज युवा संघ के तत्वावधान में श्रीमद्भागवत कथा पर प्रवचन करते हुए पौराणिक महाराज ने सत्संग भवन में कही. उन्होंने कहा कि रुक्मिणी साक्षात लक्ष्मी की अवतार हैं. रुक्मिणी के आग्रह पर श्रीकृष्ण उनसे विवाह करते हैं. जैसा पैसा आता है वैसी ही बुद्धि हो जाती है. बुरा पैसा आता है तो हमारा व्यवहार भी खराब हो जाता है. अच्छा पैसा आता है तो उससे पुण्य कर्म होते हैं. इस अवसर पर गणेश दास चौधरी के निर्देशन में नृत्य नाटिका का आयोजन हुआ. कथा को सफल बनाने में कैलाश अग्रवाल, गोपाल जालान, राजेश तिवारी, अशोक शर्मा, खेमचंद्र अग्रवाल, सुरेश माउंडिया, राजेंद्र अग्रवाल, प्रह्लाद अग्रवाल, पुष्करलाल केडिया, चंद्रकांत सरावगी, श्याम सुंदर शर्मा व अन्य सक्रिय रहे.

Next Article

Exit mobile version