धर्मेंद्र महाराज का जोड़
अपने पिता व्यास मुनि से श्रीमद्भागवत कथा सुनने के बाद शुकदेव जी ने कहा : मैं आपको क्या दक्षिणा दूं. तब वेदव्यास ने कहा कि जो श्रीमद्भागवत कथा मुझसे सुने हो उसका जगत में प्रचार-प्रसार करो. संसार का अद्वितीय ग्रंथ महाभारत है. दयानंद सरस्वती ने भी इसे आर्ष ग्रंथ कहा है. ऐसे अद्वितीय ग्रंथ लिखने […]
अपने पिता व्यास मुनि से श्रीमद्भागवत कथा सुनने के बाद शुकदेव जी ने कहा : मैं आपको क्या दक्षिणा दूं. तब वेदव्यास ने कहा कि जो श्रीमद्भागवत कथा मुझसे सुने हो उसका जगत में प्रचार-प्रसार करो. संसार का अद्वितीय ग्रंथ महाभारत है. दयानंद सरस्वती ने भी इसे आर्ष ग्रंथ कहा है. ऐसे अद्वितीय ग्रंथ लिखने के बावजूद भी उन्हें तृप्ति और आनंद नहीं मिला. नारद के कहने पर वेदव्यास ने श्रीमद्भागवत कथा को लिखा तभी उन्हें सचमुच ब्रह्मानंद की प्राप्ति हुई.