लोकसभा चुनाव में 70 से ज्यादा सीटें जीतेंगे

कोलकाता : उत्तर प्रदेश में सत्तारूढ़ समाजवादी पार्टी (सपा) का मानना है कि केंद्र में अगली सरकार सपा के बिना नहीं बन पायेगी. वर्तमान राजनीतिक परिस्थितियों को देखते हुए सपा ने गैर कांग्रेसी और गैर भाजपाई दलों से बातचीत के दरवाजे खुले रखे हैं. साथ ही पार्टी चुनाव मैदान में अकेले उतरने की पूरी तरह […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | October 4, 2013 3:54 AM

कोलकाता : उत्तर प्रदेश में सत्तारूढ़ समाजवादी पार्टी (सपा) का मानना है कि केंद्र में अगली सरकार सपा के बिना नहीं बन पायेगी. वर्तमान राजनीतिक परिस्थितियों को देखते हुए सपा ने गैर कांग्रेसी और गैर भाजपाई दलों से बातचीत के दरवाजे खुले रखे हैं.

साथ ही पार्टी चुनाव मैदान में अकेले उतरने की पूरी तरह से तैयारी कर चुकी है. ये बातें सपा के महासचिव किरणमय नंद ने गुरुवार को कहीं. उन्होंने दावा किया उत्तर प्रदेश की 80 में से कम से कम 40 सीटें सपा के खाते में ही जायेंगी.

दंगों के पीछे भाजपा का हाथ

हाल ही में मुजफ्फरनगर और आसपास के इलाके में हुए सांप्रदायिक दंगों के लिए भारतीय जनता पार्टी और उससे जुड़े संगठनों को सीधा जिम्मेदार ठहराते हुए श्री नंद ने कहा कि अमित शाह को गुजरात से उत्तर प्रदेश का प्रभारी बनाकर लाने की भाजपा की मंशा पूरी तरह से इस दंगे से साफ हो चुकी है. इस घटना का फायदा उठाने के लिए कांग्रेस और बहुजन समाजवादी पार्टी ने भी खूब कोशिश की. जनता के सामने ये पार्टियां भी बेनकाब हो चुकी हैं.

उन्होंने बताया कि पार्टी उत्तर प्रदेश के अलावा बिहार, कर्नाटक, तमिलनाडु, राजस्थान और महाराष्ट्र में अपने प्रत्याशी उतारेगी. पश्चिम बंगाल की दो सीटों मालदा उत्तर रायगंज में पार्टी अपनी पूरी ताकत से चुनाव में उतरेगी. बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को कांग्रेस का पिट्ठ बताते हुए श्री नंद ने कहा कि राष्ट्रीय स्तर पर जनता द्वारा नकारी जा चुकीं पार्टियों का साथ देनेवाले क्षेत्रीय दलों को भी इस बार के चुनाव में जनता नहीं बख्शेगी.

पश्चिम बंगाल में राजनीतिक हिंसा की घटनाओं में बढ़ोतरी पर चिंता व्यक्त करते हुए श्री नंद ने कहा कि इसकी शुरुआत तो वाम मोरचा के शासनकाल में ही हो गयी थी. माकपा नेताओं की गलत नीतियों ने वाम मोरचा के अन्य घटक दलों को काफी नुकसान पहुंचाया. गलती माकपा के नेताओं ने की और खामियाजा फॉरवर्ड ब्लॉक, आरएसपी भाकपा जैसी नीतिगत राजनीति करनेवाले दलों को भी भुगतना पड़ा.

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