डायबिटीज के रोगी भी रख सकते हैं रोजा

कोलकाता: रमजान में रोजा रखना हर व्यस्क मुसलमान का फर्ज है, पर डायबिटीज से पीड़ित लोगों के लिए एक महीना रोजा रखना आसान नहीं है. हालांकि डॉक्टरों का कहना है कि थोड़ी-सी सावधानी और देखभाल से वे आसानी से अपने ब्लड सुगर स्तर को नियंत्रित रखते हुए सुरिक्षत तरीके से रोजा रख सकते हैं. इस […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | July 9, 2015 7:44 AM
कोलकाता: रमजान में रोजा रखना हर व्यस्क मुसलमान का फर्ज है, पर डायबिटीज से पीड़ित लोगों के लिए एक महीना रोजा रखना आसान नहीं है. हालांकि डॉक्टरों का कहना है कि थोड़ी-सी सावधानी और देखभाल से वे आसानी से अपने ब्लड सुगर स्तर को नियंत्रित रखते हुए सुरिक्षत तरीके से रोजा रख सकते हैं. इस अवधि के दौरान लंबे समय तक उपवास रखने से मधुमेह पीड़ितों के ब्लड सुगर के स्तर में काफी उतार-चढ़ाव आते रहते हैं, जिससे उन्हें लो ब्लड ग्लूकोज-हाइपोग्लाइसीमिया, उच्च ब्लड ग्लूकोज- हाइपरग्लाइसीमिया व निर्जलीकरण (डिहाइड्रेशन) का सामना करना पड़ सकता है. चूंकि उपवास रखने से अचानक मेटाबॉलिक बदलाव आते हैं, इसलिए मधुमेह रोगियों को हमेशा उपवास रखने से पहले डायबिटिक योजना बनाने की सलाह दी जाती है. विशेषज्ञों का कहना है कि मधुमेह रोगियों को उपवास रखने से पहले अपने डॉक्टर से परामर्श करना चाहिए. डायबिटीज की उन्नत अवस्था, गुर्दा समस्याओं और दिल के रोगों से पीड़ित रोगियांे को रोजों से दूर रहने की सलाह दी जाती है.
रोजा रखने से पहले डायबेटॉलॉजिस्ट से परामर्श लेने पर जोर देते हुए डॉ मसूद बतीन (हेड ऑफ डिपार्टमेंट ऑफ मेडिसिन, डायबिटिलॉजी, मिशन ऑफ मर्सी अस्पताल) ने कहा कि एक महीने तक चलने वाले रमजान के रोजों के दौरान मधुमेह पीड़ितों के लिए विषेष सतर्कता और सावधानियां रखना जरूरी है. ब्लड सुगर स्तर पर नजर रखने की व्यवस्था करनी चाहिए.
अनियोजित तरीके से रोजा रखने से ग्लूकोज स्तर में खतरनाक कमी आती है और रोजा रखनेवाले को अनेक जटिलताओं का सामना करना पड़ता है. रोजे रखनेवाले रोगियों को इंसुलिन/दवा लेने की खुराक दिन में दो बार तक सीमित कर देनी चाहिए. उन्हें ऐसी दवाइयां लेनी चाहिए, जो ग्लिपिटंस को बढ़ती हों या ब्लड सुगर के स्तर में उतार-चढ़ाव न आने दें.
रोजा रखनेवाले डायबिटीज के मरीजों को हाइपोग्लाइसीमिया का अधिक खतरा होता है. खाना खाने के बीच में लंबे अंतर और डायबिटीज की दवाओं के कारण ग्लूकोज का स्तर प्राय: गिर जाता है. इससे पसीना आने, चक्कर आने और बेचैनी होने जैसे लक्षण सामने आते हैं. हाइपोग्लाइसीमिया के कारण मानिसक भ्रम, विपरीत व्यवहार, बेहोशी और दौरे जैसी समस्याएं भी आ सकती हैं. इस कारण उपवास के दौरान ब्लड सुगर के स्तरों पर निगरानी रखना आवश्यक हो जाता है.
सुगर लेबल की निगरानी में एप्स का उपयोग काफी मददगार साबित हो रहा है, जो मधुमेह के रोगियों को अन्य बातों के अलावा अपनी ब्लड सुगर पर निगरानी रखने में मदद करते हैं. एमएसडी द्वारा बनाये गये मोबाइल एप रमदान-डायबिटीज एंड मी का उपयोग मधुमेह पीड़ितों द्वारा अपने ब्लड सुगर स्तर की निगरानी और महत्वपूर्ण सूचना हासिल करने के लिए किया जा रहा है.
यह एप आइओएस व एंड्रायड यूजर्स के लिए उपलब्ध है और रमजान के दौरान उपवास रखनेवाले लाखों टाइप-2 डायबिटीज रोगियों के मार्गदर्शन के लिए बनायी गयी है.
इस एप में एक रैंडम ब्लड सुगर (आरबीएस) ट्रैकर शामिल है और यह आहार, व्यायाम और ब्लड सुगर की निरंतर निगरानी से संबंधित टिप्स उपलब्ध कराती है, जिससे रोगियों को उपवास के दौरान अपनी टाइप-2 डायिबटीज को कंट्रोल करने में मदद मिलती है. उपयोग में आसानी के लिए यह एप तीन भाषाओं हिंदी, अंग्रेजी और अरबी में उपलब्ध है.

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