अब सोनिया गांधी की इफ्तार पार्टी से ममता बनर्जी ने किया किनारा

भाजपा विरोधी पार्टियों के साथ एकजुटता बढ़ाना चाहती है कांग्रेस कोलकाता : राष्ट्रीय कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने रमजान के शुभ अवसर पर 13 जुलाई को नयी दिल्ली में इफ्तार पार्टी का आयोजन किया है और इस इफ्तार पार्टी के जरिये वह भाजपा विरोधी पार्टियों के बीच एकजुटता बनाने की प्रयासों में जुटी हुई हैं. […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | July 11, 2015 7:04 AM
भाजपा विरोधी पार्टियों के साथ एकजुटता बढ़ाना चाहती है कांग्रेस
कोलकाता : राष्ट्रीय कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने रमजान के शुभ अवसर पर 13 जुलाई को नयी दिल्ली में इफ्तार पार्टी का आयोजन किया है और इस इफ्तार पार्टी के जरिये वह भाजपा विरोधी पार्टियों के बीच एकजुटता बनाने की प्रयासों में जुटी हुई हैं. इस इफ्तार पार्टी में हिस्सा लेने के लिए उन्होंने पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को भी आमंत्रित किया था, लेकिन मुख्यमंत्री ने इफ्तार पार्टी में हिस्सा लेने से इनकार कर दिया है.
राज्य सचिवालय के सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, मुख्यमंत्री ने इस आवेदन को नकारते हुए कहा कि वह भी राज्य में इफ्तार पार्टी का आयोजन कर रही हैं, इसलिए उनके पास दिल्ली जाने का समय नहीं है. वह कोलकाता में अपने पार्टी के नेताओं के साथ इफ्तार पार्टी करेंगी. गौरतलब है कि सोनिया गांधी ने इस इफ्तार पार्टी में माकपा के राष्ट्रीय सचिव सीताराम येचुरी को भी आमंत्रित किया था, उन्होंने भी सोनिया गांधी के आवेदन को ठुकरा दिया है.
हालांकि माकपा सांसद मोहम्मद सलीम इस इफ्तार पार्टी में शामिल होने के लिए दिल्ली जायेंगी. राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के अध्यक्ष लालू प्रसाद यादव को भी सोनिया गांधी ने इफ्तार पार्टी का आमंत्रण भेजा था, लेकिन लालू प्रसाद ने भी बिहार में पार्टी का इफ्तार पार्टी का हवाला देते हुए वहां जाने से इनकार कर दिया है.
राजनीतिक विशेषज्ञों का मानना है कि इस इफ्तार पार्टी के जरिये सोनिया गांधी भाजपा विरोधी पार्टियों को एकजुट करने का प्रयास कर रही हैं, क्योंकि उनके मेहमानों की तालिका में जनता परिवार के कई नेता जैसे मुलायम सिंह यादव, लालू प्रसाद, नीतीश कुमार, शरद यादव के साथ-साथ बहुजन समाज पार्टी की मायावती का नाम शामिल है.
आगामी बिहार चुनाव में भाजपा को परास्त करने के लिए राजद, जदयू, कांग्रेस व एनसीपी ने एक साथ गंठबंधन के साथ चुनाव लड़ने का फैसला किया है और इस राजनीतिक एकजुटता को कांग्रेस बरकरार रखना चाहती है.

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