लेखक ने की कानून में बदलाव की मांग

महानगर में यूरोपीय-बंगाली वास्तुकला की प्राचीन इमारतों को बचाने पर जोर कोलकाता : अद्वितीय यूरोपीय-बंगाली वास्तुकाल के उदाहरण महानगर की प्राचीन इमारतों को बचाने के लिए नये कानून बनाने व उपाय करने की जरूरत है. अंग्रेजी लेखक अमित चौधरी का कहना है कि केवल शहर ही नहीं, बल्कि शहर के आसपास भी ऐसी काफी पुरानी […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | July 13, 2015 5:00 AM
महानगर में यूरोपीय-बंगाली वास्तुकला की प्राचीन इमारतों को बचाने पर जोर
कोलकाता : अद्वितीय यूरोपीय-बंगाली वास्तुकाल के उदाहरण महानगर की प्राचीन इमारतों को बचाने के लिए नये कानून बनाने व उपाय करने की जरूरत है. अंग्रेजी लेखक अमित चौधरी का कहना है कि केवल शहर ही नहीं, बल्कि शहर के आसपास भी ऐसी काफी पुरानी इमारतें हैं, जो शानदार व अदभुत वास्तुकला की मिसाल हैं.
2002 के साहित्य अकादमी पुरस्कार विजेता श्री चौधरी के अनुसार दक्षिण में बोकुलबगान, खिदिरपुर, हिंदुस्तान पार्क, भवानीपुर, गांगुली बागान, शरत बोस रोड व उत्तर में बागबाजार में ऐसी काफी इमारतें हैं, जिन्हें हेरिटेज परिसर घोषित कर उनकी विशेष देखभाल करना चाहिए. महानगर में एक कार्यक्रम के दौरान श्री चौधरी ने कहा कि इस ऐतिहासिक शहर की पहचान के लिए इन वैभवशाली इमारतों को बचाये रखना बेहद जरूरी है. हाल ही में विख्यात ब्रिटिश अखबार गाजिर्यन में कोलकाता की वास्तुकला पर लिखनेवाले श्री चौधरी ने कहा कि इन इमारतों की विलक्षणता यह है कि किसी भी इमारत में समानता नहीं है, सभी एक-दूसरे से पूरी तरह अलग हैं.
लेखक ने कहा कि उत्तर कोलकाता में अब भी काफी संख्या में पुरानी इमारतें हैं, जिनकी वास्तुकला लाजवाब है. पर अफसोस देखभाल व रखरखाव के अभाव में इनमें से कई खंडहर बन चुकी हैं व कई इमारतें ढहनेवाली हैं. शानदार वास्तुकलावाली इन इमारतों को देखभाल व मरम्मत की फौरन जरूरत है.

Next Article

Exit mobile version